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आयोग पर बढ़ी आस्था

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अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष एस. राजू ने परीक्षाओं को लेकर विभिन्न बदलाव करके इनकी विश्वसनीयता और पारदर्शिता में इजाफा किया है।

पर्वतजन ब्यूरो

पिछले दिनों उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा कनिष्ठ सहायक के पदों पर परीक्षाएं कराई जा रही थी। इसके अंतर्गत टाइपिंग परीक्षा के दौरान एक व्यक्ति ने आयोग के अधिकारियों और कर्मचारियों से संपर्क किया और कहा कि उनका बेटा भी यह परीक्षा दे रहा है। क्या कुछ ले-देकर उनके बेटे का सलेक्शन हो सकता है? उस व्यक्ति ने काफी कोशिश की, किंतु सभी ने यह कहते हुए साफ इंकार कर दिया कि अब भर्तियों से संबंधित व्यवस्था में काफी बदलाव हो गए हैं और अब इस तरह से भर्ती होने की कोई गुंजाइश नहीं है। यह व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि आयोग के नए अध्यक्ष एस. राजू द्वारा आयोग में होने वाली धांधलियों के विषय में आशंकाओं को जांचने के लिए भेजा गया एक भेदिया था। इस तरह से एस. राजू नई फुलप्रूफ व्यवस्था के प्रति आश्वस्त हो गए।
आयोग के नए अध्यक्ष एस. राजू ने आते ही आयोग द्वारा कराई जा रही भर्ती परीक्षाओं की विश्वसनीयता और पारदर्शिता को अपनी पहली प्राथमिकता बनाया और वह इसमें कामयाब भी रहे।
ओएमआर शीट की बढ़ाई संख्या
इससे पहले परीक्षाएं कराने के बाद ओएमआर शीट आयोग के दफ्तर में जमा करा दी जाती थी। एस. राजू ने पाया कि ओएमआर शीट को आयोग में रखे जाने पर सवाल उठाए जा सकते हैं। इसलिए उन्होंने ओएमआर शीट को ट्रेजरी के डबल लॉक में रखवाने की व्यवस्था की। यही नहीं वह परीक्षाओं की विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिए ओएमआर शीट की तीन प्रतियां बनाए जाने की व्यवस्था कराई, ताकि एक कॉपी परीक्षार्थी अपने पास ले जा सके, दूसरी कॉपी ट्रेजरी में स्केन होने और रिजल्ट आने तक रखी जाए तथा तीसरी कॉपी जिलाधिकारी के नियंत्रण में सुरक्षित रखी जा सके, ताकि भविष्य में किसी भी तरह का सवाल उठने की गुंजाइश खत्म हो जाए।
इससे पहले परीक्षा देते समय परीक्षार्थी ओएमआर शीट पर गलत सवाल पर टिक करने के बाद उस पर व्हाइटनर लगाकर सही विकल्प पर चिन्ह लगा देते थे।
एस. राजू ने नकल की इस संभावना को भी समाप्त कर व्हाइटनर का प्रयोग ही वर्जित कर दिया और यह नियम लागू कर दिया कि व्हाइटनर अथवा किसी भी प्रकार की छेडख़ानी पर निगेटिव मार्किंग दिया जाएगा।
बदला ऑनलाइन आवेदन सिस्टम
इससे पहले ऑनलाइन आवेदन करते समय अभ्यर्थी को पहले आवेदन शुल्क चुकाना होता था, उसके बाद एप्लीकेशन भरनी होती थी। इसमें कई बार नेटवर्क कनेक्शन अथवा सर्वर डाउन होने के चलते आवेदन शुल्क तो जमा हो जाता था, लेकिन फार्म पूरा न भरे होने के कारण निरस्त हो जाता था। इस कारण कई अभ्यर्थियों को कई-कई बार आवेदन शुल्क जमा करने के लिए मजबूर होना पड़ता था। एस. राजू के संज्ञान में एक मामला आया, जिसमें एक आवेदक को एक ही पद के लिए आवेदन फार्म भरते समय २३ बार आवेदन शुल्क जमा करना पड़ गया था। एस. राजू ने इसमें बदलाव करके यह व्यवस्था कर दी कि पहले ऑनलाइन फार्म पूरा भरा जाएगा और यह औपचारिकता करने के बाद ही आवेदन शुल्क जमा किया जा सकेगा। इससे परीक्षार्थियों को काफी राहत मिली।
एक आवेदक-एक नौकरी
अभी तक एक ही पद के लिए विभिन्न विभागों में अलग-अलग समय पर भर्ती परीक्षाएं आयोजित होती रहती हैं। उदाहरण के लिए यदि कनिष्ठ सहायक के पद पर अलग-अलग विभाग अलग-अलग समय पर वेकेन्सी निकालते हैं तो ऐसे में एक अभ्यर्थी अलग-अलग विभागों में आवेदन करता है।
इससे यह दिक्कत आती है कि कुछ योग्य अभ्यर्थी लगभग सभी परीक्षाओं में उत्तीर्ण हो जाते हैं, किंतु सेवा के लिए एक ही विभाग चुनने के कारण एक ओर तो अभ्यर्थी का आवेदन शुल्क और अन्य खर्च निरर्थक हो जाता है, दूसरा अन्य विभागों को योग्य अभ्यर्थी नहीं मिल पाते तथा तीसरा अन्य बेरोजगारों का अवसर भी समाप्त हो जाता है। इस समस्या से बचने के लिए एस. राजू ने यह निर्णय लिया है कि एक पद के लिए विभिन्न विभागों द्वारा मांगी गई वेकेंसियों की परीक्षा एक साथ कराई जाए, ताकि अधिक से अधिक अभ्यर्थियों को मौका मिले और विभागों में भी कोई पद रिक्त न रह जाए। सीमित संसाधनों में परीक्षाएं करा रहे आयोग ने यह भी निर्णय लिया है कि भविष्य में सालभर अलग-अलग समय पर परीक्षाएं न कराकर वर्ष में एक ही बार जुलाई के महीने में पद विज्ञापित करके एक साथ भर्ती परीक्षाएं आयोजित की जाए।
विश्वसनीयता है प्राथमिकता
आज पूरे देश में भर्ती परीक्षाएं कराने वाले आयोगों पर विश्वसनीयता का बड़ा भारी संकट खड़ा है। पंजाब के लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष पर जांच चल रही है। उत्तर प्रदेश के अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के खिलाफ जांच शुरू हो गई है। आसाम, मध्य, प्रदेश और बिहार के चयन आयोगों के अध्यक्ष तो सीधे जेल भेजे गए। ऐसे में उत्तराखंड में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा भर्तियों की पारदर्शिता और विश्वसनीयता के लिए उठाए गए ये कदम निश्चित ही उत्तराखंड के योग्य नौजवानों को अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त करते हैं।

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”सौभाग्य से मेरे साथ योग्य और कर्मठ अफसरों की टीम है। हम भर्तियों को लेकर किसी भी तरह के सवाल की गुंजाइश खत्म कर देने वाला सिस्टम बना रहे हैं।”

 – एस. राजू अध्यक्ष, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग

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