भूपेंद्र कुमार
देहरादून के जिला आबकारी अधिकारी मनोज उपाध्याय को राज्य सूचना आयुक्त चंद्र सिंह नपलच्याल ने राज्यहित की सूचनाएं देने से आनाकानी करने पर ₹25000 का कारण बताओ नोटिस जारी किया था और आदेश दिया कि 15 दिन के अंदर-अंदर सूचनाएं प्रदान कराएं !
आयुक्त ने यह यह आदेश 25 सितंबर को जारी किए थे किंतु 15 दिन तो दूर, एक महीने बाद भी जिला आबकारी अधिकारी ने सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराई है। जाहिर है कि जिला आबकारी अधिकारी को जुर्माना भरना मंजूर है लेकिन सूचना देना मंजूर नहीं।
गौरतलब है कि सूचनाएं उपलब्ध न कराने पर पहले भी प्रथम अपील में अपीलीय अधिकारी तथा देहरादून के जिला अधिकारी एसए मुरुगेशन ने भी जिला आबकारी अधिकारी द्वारा सूचना उपलब्ध न कराने पर काफी लताड़ लगाई थी। एसए मुरुगेशन ने 12 मार्च 2018 को बाकायदा अपने आदेश में लिखा था कि यह खेद का विषय है कि अनुरोधकर्ता को वांछित सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई।
जिलाधिकारी ने जिला आबकारी अधिकारी को आइंदा के लिए जाने के निर्देश देते हुए आदेश दिए थे कि 10 दिन के अंदर आवेदक को सूचना उपलब्ध करा दी जाए !
किंतु जिला आबकारी अधिकारी पर जिलाधिकारी के आदेशों का कोई असर नही पड़ा और सूचना आयुक्त के आदेशों पर भी उन्होंने कोई सूचना देना जरूरी समझा।
बहरहाल आयोग में सुनवाई के लिए अगली तारीख एक नवंबर 2018 तय की गई है।
यह मांगी थी सूचना
आबकारी अधिकारी देहरादून से सूचना के अधिकार के अंतर्गत यह सूचना मांगी गई थी कि देहरादून में देसी विदेशी शराब के दुकानों की संख्या और लाइसेंस धारकों के नाम पते तथा दुकानों के पत्ते सहित लाइसेंस फीस तथा प्रथम तथा द्वितीय सिक्योरिटी जमा न करने वाले दुकानदारों के नाम बताया जाए !
किंतु जिला आबकारी अधिकारी ने पहली और दूसरी सिक्योरिटी की किस्तें जमा न कराने वालों की सूचना देने से कन्नी काट दी।
गौरतलब है कि सिक्योरिटी मनी जमा न होने से सरकार को भी लाखों रुपए राजस्व का नुकसान हो रहा है। जब आबकारी अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है कि सिक्योरिटी मनी जमा न करने वाले दुकानदारों की दुकान का लाइसेंस निरस्त हो जाएगा तो फिर यह दुकानदार आखिर किसकी शह पर बिना सिक्योरिटी मनी जमा किए हुए धड़ल्ले से शराब बेच रहे हैं !
बड़ा सवाल यह भी है कि जिलाधिकारी देहरादून द्वारा खेद प्रकट किए जाने तथा राज्य सूचना आयुक्त द्वारा ₹25000 जुर्माने का नोटिस जारी किए जाने के बावजूद जिला आबकारी अधिकारी को सिक्योरिटी मनी जमा न करने वाले दुकानदारों नाम बताने में आखिर क्या हिचकिचाहट है !