देहरादून में कश्मीरी छात्रों कि देश विरोधी टिप्पणियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हुए तो अल्पाइन इंस्टीट्यूट में एक नोटिस ही जारी कर दिया है और कहा कि अगर संस्थान में कोई भी छात्र देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाया जाएगा तो उसको बर्खास्त कर दिया जाएगा।
वहीं कॉलेज के निदेशक ने नोटिस में यह भी साफ लिख दिया कि अगले सत्र से कश्मीरी छात्रों को इंस्टिट्यूट में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
सीआरपीएफ के जवानों की पुलवामा में कश्मीरी आतंकियों के हमले में शहादत के बाद पूरे देश में आक्रोष का माहौल है। उत्तराखंड के अल्पाइन इंस्टीट्यूट के कश्मीरी छात्र कैसर राशिद की देशद्रोही टिप्पणियों ने आग में घी का काम किया।
इस बीच कश्मीरी छात्राओं ने भी एक बयान जारी करके कहा है कि वह देहरादून उत्तराखंड में सुरक्षित हैं और उन्हें कोई खतरा नहीं है।
गौरतलब है कि कश्मीरी छात्राओं ने अपने हॉस्टल से 2 दिन पहले शहीदों की श्रद्धांजलि सभा के जुलूस पर पथराव कर के ग्रामीण महिलाओं को आपत्तिजनक बातें कही थी, जिसके बाद बवाल बढ़ गया था।
यह बात निर्विवादित है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है तो कश्मीरी भी भारतीय ही हैं, लेकिन दिक्कत है तब पैदा हो जाती हैं जब इनमें से कुछ छात्र आतंकी गतिविधियों से जुड़ जाते हैं और आतंक के सरगना उन्हें स्लीपर सेल के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
भारत सरकार भी कश्मीर के छात्रों को देश के विभिन्न कॉलेजों में भारी-भरकम छात्रवृत्ति के साथ बढ़ाने के लिए भेजती है ताकि ये नई पीढ़ी देश की मुख्य धारा से जुड़ सके।
इन छात्रों को प्राइवेट कॉलेज मोटी फीस के लालच में बिना वेरीफिकेशन के प्रवेश दे देते हैं।
एक बेहतर रास्ता यह हो सकता है कि सरकार कश्मीर के छात्रों को प्राइवेट कॉलेज में पढ़ाने के बजाय सरकारी कॉलेजों में ही अपनी निगरानी में पढ़ाए।
इससे एक ओर कश्मीर के छात्र मुख्यधारा से भी जुड़ जाएंगे तो वहीं उनके वेरीफिकेशन तथा मॉनिटरिंग की ज्यादा बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी।
बहरहाल कॉलेज द्वारा कश्मीरी छात्रों को प्रवेश से इंकार करने का यह फरमान कानूनी पचड़े में भी पड़ सकता है। यूपी मे योगी सरकार भले ही एक कॉलेज के शपथ ग्रहण समारोह में लॉ एंड ऑर्डर गड़बड़ होने की आशंका से डर जाती हो और उत्तराखंड मे केदारनाथ जैसी फिल्म रिलीज करने से भी हाथ पीछे खींच लेती हो, लेकिन यदि एक प्राइवेट कॉलेज दाखिले से इंकार करता है तो उसकी जरूर शामत आ सकती है।