दो दिन पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के राइट हैंड अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश सचिव मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि देहरादून स्थित सचिवालय परिसर में अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए एक करोड़ की लागत से एक बैडमिंटन हॉल बनाया जाएगा। सचिवालय के पश्चिमोत्तर ब्लॉक में खाली पड़ी भूमि पर एक करोड़ रुपए लागत से बैडमिंटन हॉल बनाने से सरकार की इस ताजा सहमति की चारों ओर जमकर आलोचना हो रही है।
जिस लोक निर्माण विभाग के पास आपदाग्रस्त जिलों में काम करने के लिए पैसा नहीं है, उसे तीन माह के भीतर इस आधुनिकतम बैडमिंटन हॉल को तैयार करने का समय दिया गया है।
राज्य संपत्ति विभाग की ओर से जारी किए गए इस एक करोड़ रुपए के बजट के बाद सरकार एक बार फिर कटघरे में है। तमाम सामाजिक संगठनों और राजनैतिक दलों ने सरकार पर इस प्रकार फिजूलखर्ची का आरोप लगाया तो भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा की राष्ट्रीय मीडिया सह इंचार्ज नेहा जोशी ने सरकार के इस फैसले का प्रतिरोध किया है।
नेहा जोशी ने सरकार द्वारा लिए जा रहे इस फैसले का विरोध है। साथ ही उन्होंने तथ्य रखे हैं कि सरकार को यदि कोई बैडमिंटन हॉल बनाना ही था तो उसे उस स्थान पर बनाना चाहिए था, जहां सामान्य लोग भी उसका लाभ उठा सकें। साथ ही उन्होंने निकट भविष्य में सचिवालय भवन के और अधिक विस्तार में उक्त भूमि की उपयोग की भी बात कही है।
नेहा जोशी मसूरी के तीसरी बार के विधायक गणेश जोशी की पुत्री हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से अनुरोध किया है कि जब सचिवालय के समीप राजकीय कन्या इंटर कॉलेज को विस्तार की इजाजत नहीं दी जा सकती है तो इस बैडमिंटन हॉल के निर्माण का प्रस्ताव तत्काल रद्द किया जाना चाहिए।
उत्तराखंड की डबल इंजन की सरकार विगत दिनों तब चर्चा में आई थी, जब सचिवालय में अनावश्यक रूप से 32 लाख रुपए का पुल बनाया गया था। तब सुदूरवर्ती पर्वतीय जिलों के विधायकों ने न सिर्फ इसका विरोध किया, बल्कि सरकार की आलोचना भी की कि जिस सरकार के पास पर्वतीय क्षेत्र में सड़क, बिजली, पानी और पुलों के निर्माण के लिए पैसा नहीं, वह सचिवालय में 32 लाख का पुल बनाने के लिए इतनी भारी-भरकम धनराशि कहां से लाई।
अब बैडमिंटन हाल के नए राग को लेकर भाजपा संगठन सरकार को नसीहत दे रहा है। देखना है कि नसीहत से सीखता कौन है और फजीहत किसकी होती है।