उत्तराखंड में जिन 12 फाइनेंस कंपनियों को भारतीय रिजर्व बैंक ने अवैध घोषित करके उन सभी के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा है और मुख्य सचिव ने स्पेशल टास्क फोर्स( एसटीएफ) को त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिए हैं, उन कंपनियों में से एक कंपनी “सोशल म्यूच्यूअल बेनिफिट कंपनी लिमिटेड” भी है।
सबसे अचरज की बात यह है कि सोशल ग्रुप ऑफ कंपनीज के चेयरमैन कुंवर सिंह पंवार जीरो टॉलरेंस की सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत के खासमखास सलाहकार हैं। श्री पंवार औद्योगिक विकास सलाहकार हैं।
इनकी कंपनी को आरबीआई ने गैर कानूनी ढंग से धन का लेन देन करने का दोषी पाया है और अनाधिकृत ढंग से आर्थिक गतिविधि करने के मामले में एसटीएफ को कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
किंतु के एस पंवार जीरो टॉलरेंस वाली सरकार में खुद को विज्ञापनों के माध्यम से ईमानदार मुखिया के रूप में प्रचारित कराने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सलाहकार हैं, इसीलिए पूरा गोदी मीडिया इस मामले में खामोश है।
पिछले दिनों मुख्य सचिव की बैठक में आरबीआई के महाप्रबंधक सुब्रत दास, प्रमुख सचिव न्याय नीता तिवारी, सचिव सहकारिता मीनाक्षी सुंदरम और अपर सचिव वित्त सविन बंसल आदि की बैठक में सोशल म्यूच्यूअल बेनिफिट कंपनी लिमिटेड के खिलाफ भी कार्यवाही करने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को निर्देश दे दिए गए हैं। किंतु मुख्यधारा के मीडिया कहलाने वाले तमाम अखबारों और चैनलों ने इस मामले में पूरी तरह से चुप्पी साधी हुई है।
सोशल म्यूच्यूअल बेनिफिट कंपनी लिमिटेड के चेयरमैन के एस पंवार हैं तथा प्रबंध निदेशक उनके सगे भाई डी एस पंवार हैं।
हालांकि डी एस पंवार ने स्पष्टीकरण दिया है कि उनकी कंपनी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की विनियमित संस्था नहीं है और उनका भारतीय रिजर्व बैंक से किसी प्रकार का कोई लेना देना नहीं है।
डी एस पंवार के स्पष्टीकरण के अनुसार उनकी कंपनी निधि कंपनी घोषित है और उसी के तहत कंपनी अपना व्यवसाय संचालित कर रही है।
डी एस पंवार के अनुसार उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक से घोर आपत्ति करते हुए अनुरोध किया है कि वह उनके द्वारा अनाधिकृत रूप से गतिविधियां संचालित करने के संबंध में झूठी सूचना के विषय में स्पष्टीकरण दें, ताकि भ्रम की स्थिति न हो।
डी एस पंवार ने खातेधारियों को पूर्व की भांति विश्वास बनाए रखने के लिए अपील की है।
बड़ा सवाल यह है कि यदि सोशल कंपनी फर्जी नहीं है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और मुख्य सचिव ने उनके खिलाफ स्पेशल टास्क फोर्स एसटीएफ को कार्यवाही करने के निर्देश क्यों दिए ?
म्यूचल फंड कंपनियों पर पहले भी धोखाधड़ी करने के आरोप लगते रहे हैं। देखना यह है कि गोदी मीडिया के साथ-साथ मुख्यमंत्री कार्यालय अपने सलाहकार की कंपनी पर उठते सवालों को लेकर कब तक चुप्पी साधे रखता है। इसी तरह के विवादित सलाहकारों से सरकार चलाने के कारण जीरो टॉलरेंस जैसे संकल्प बड़ी तेजी से अपनी गरिमा खोते जा रहे हैं।