प्रदेश के किसानों से धान न खरीद कर सरकार उत्तराखंड से बाहर के राज्यों से धान खरीद कर न सिर्फ किसानों को बर्बाद कर रही है। इससे राज्य को करोड़ों रुपए का चूना भी लग रहा है। इस मसले को ऐसे समझा जा सकता है कि वर्ष 2016-17 में पूर्ववर्ती सरकार ने किसानों से 10.53 लाख टन धान खरीदा था, जबकि वर्ष 2017 18 में त्रिवेंद्र सरकार में मात्र 54.24 हजार टन धान ही खरीदा।
सरकार की गलत नीतियों के कारण किसानों को अपना धान ओने-पौने दामों में अन्य प्रदेशों और जमाखोरों के हाथों बेचना पड़ा। सरकार ने पिछले वित्तीय सत्र के मुकाबले इस साल सरकार ने 95% कम धान खरीदा।
इसका खुलासा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जन संघर्ष मोर्चा ने किया है। जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि किसानों से धान न खरीदने के कारण एक तो बिचौलियों और जमाखोरों के हाथ अपना धान बेचने को मजबूर होना पड़ा, साथ ही प्रदेश से 7-8 राइस मिलर्स को अपनी मिल बंद करनी पड़ी।
श्री नेगी ने कहा कि सरकार की गलत नीति के कारण करोड़ों रुपए मंडी शुल्क के रूप में नुकसान उठाना पड़ा तथा आढ़तियों को भी भारी कीमत चुकानी पड़ी। उन्होंने कहा कि उक्त मिलों के बंद होने के कारण सैकड़ों मजदूरों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा तथा केंद्रीय पूल में मिलने वाली मदद से भी सरकार को हाथ धोना पड़ा। पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश कुमार, दिलबाग सिंह, ओपी राणा, भीम सिंह बिष्ट, राजेश पुरोहित आदि थे।