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कुटिया विरक्त राजनीति आसक्त!

November 5, 2016
in पर्वतजन
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शहर के मध्य में स्थित करोड़ों रुपए मूल्य की धर्मार्थ निर्मल विरक्त कुटिया सम्पत्ति को राजनीतिक व भूमाफियाओं का गठजोड़ ठिकाने लगाने की जुगत में हैं। इस षडयंत्र के सूत्रधार रहे अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव सिंह नामधारी से पुलिसिया पुछताछ के बाद यह मामला फिर गरमा गया है।’

कुमार दुष्यंत/हरिद्वार

धर्मनगरी के बीचोंबीच हरिद्वार-दिल्ली राजमार्ग से सटी हुई बेशकीमती निर्मल विरक्त कुटिया का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। राजनीतिक संरक्षण में इसको खुर्द-बुर्द करने के आरोपी रहे अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव सिंह नामधारी से पुलिसिया पूछताछ के बाद इस मामले में राजनीतिक जगत के कुछ सफेदपोश लोगों के नाम सामने आए हैं। जिसके बाद इस बेशकीमती लैंड को ठिकाने लगाकर ऐश करने के ख्वाब देख रहे लोगों में हड़कंप मचा हुआ है। चुनाव नजदीक होने के कारण इस मामले से जुड़े राजनीतिक लोग स्वयं को बचाने की जुगत में लगे हुए हैं।
निर्मल विरक्त कुटिया का मामला 2009 में तब सामने आया था, जब तत्कालीन दर्जा धारी एवं अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सुखदेव सिंह नामधारी ने कुछ लोगों के साथ इस सम्पत्ति पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद कुटिया के प्रबंधक भगवंत सिंह ने सुखदेव नामधारी व उसके साले भगवान सिंह, प्रवीण यादव, हरविंदर सिंह सहित आठ लोगों के खिलाफ कूटरचना कर संपत्ति कब्जाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया, लेकिन राजनीतिक दखलंदाजी के चलते तब पुलिस ने ये मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया था। पिछले दिनों दिल्ली में कांग्रेस से भाजपा में गये सतपाल महाराज ने इस संपत्ति को लेकर मुख्यमंत्री हरीश रावत व उनके खास सहयोगी रणजीत रावत पर आरोप लगाते हुए उनके नार्को टेस्ट की मांग की थी। जिसके बाद यह मामला फिर गरमा गया और पुलिस ने इस केस की फाइल फिर से खोलकर इस मामले के आरोपियों की गिरफ्तारी शुरू कर दी। शुरू से ही पोंटी चड्ढ़ा हत्याकांड में तिहाड़ में सजा काट रहे नामधारी को इस पूरे मामले का सूत्रधार माना जा रहा है। जिसके बाद पुलिस बी वारंट पर उसे पूछताछ के लिए तिहाड़ से हरिद्वार ले आयी। दो दिन के रिमांड में हुई पूछताछ में नामधारी से जो जानकारी मिली है, उससे यह साफ हो गया है कि इस मामले में नामधारी व सात अन्य आरोपी महज मोहरे हैं। करोड़ों रुपये की इस भूमि को ठिकाने लगाने का षडयंत्र रचने वाले असली लोग और ही हैं। शासन-प्रशासन पर पकड़ रखने वाले ये लोग ही नामधारी को आगे कर इस भूमि को हड़पने की साजिश रच रहे हैं।
इस पूरे प्रकरण में राजनीतिक लोगों के नाम आने के कारण यह मामला हाईप्रोफाइल हो गया है, साथ ही इस पर राजनीति भी होने लगी है। सतपाल महाराज ने इस मामले में मुख्यमंत्री हरीश रावत के शामिल होने के आरोप लगाते हुए आरोप झूठे साबित होने पर राजनीति से सन्यास ले लेने का दावा किया है।
उधर कब्जे का आरोपी सुखदेव सिंह नामधारी सीधे-सीधे भाजपा से जुड़ा रहा है। पुलिसिया पूछताछ में भी नामधारी ने बीजेपी के शीर्ष नेताओं से अपने संबंधों को स्वीकारा है। हरिद्वार में भी कुछ नेता स्वयं को मुख्यमंत्री का करीबी प्रचारित कर भूमाफियाओं के साथ मिलकर इस जमीन पर भव्य अपार्टमेंट्स खड़े करने का ताना-बाना बुन रहे हैं। राजनीति के प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता इस पूरे प्रकरण में शुरू से ही जगजाहिर रही है।

namdhari
namdhari

राजनीतिक सरंक्षण प्राप्त नामधारी विवादित संपत्तियों को कब्जाने के लिए कुख्यात रहे हैं। वर्ष 2008 में उन्होंने अपने शस्त्रधारी सहयोगियों के साथ गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में भी घुसने की कोशिश की थी। 2009 में जब उन्होंने निर्मल विरक्त कुटिया पर बलपूर्वक कब्जा किया तो राजनीतिक दबाव के कारण ही तब पुलिस ने प्रबंधक भगवंत सिंह की तहरीर का संज्ञान ही नहीं लिया। राजनीतिक अभयदान का लाभ उठाते हुए नामधारी ने इस भूमि पर प्लाटिंग भी शुरू कर दी। बाद में कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने नामधारी सहित आठ लोगों के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज तो किए, लेकिन जल्द ही एफआर लगाकर मामला बंद कर दिया गया।

अपराध जगत का बड़ा नाम है नामधारी

कभी हल्द्वानी विधायक हरभजन चीमा का सुरक्षा गार्ड रहा सुखदेव सिंह नामधारी आज अपराध जगत व खनन कारोबार का बड़ा नाम है। नामधारी की कर्मस्थली दिल्ली, पंजाब व उत्तराखंड रही है। जहां उस पर दर्जनों मुकदमें चल रहे हैं। अकेले उत्तराखंड में ही नामधारी के नाम हत्या, हत्या के प्रयास, डराने-धमकाने के करीब सवा दर्जन मुकदमें दर्ज हैं। अनेक शीर्ष राजनेताओं से उसके संबंध हैं। 2010 में एक पूर्व मुख्यमंत्री व संघ के एक बड़े नेता की पैरवी के बाद निशंक सरकार ने नामधारी को अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया था। कई विदेश यात्राएं कर चुका नामधारी शराब कारोबारी पोंटी चड्ढ़ा का खास सहयोगी रहा है। 2012 में पोंटी चड्ढ़ा की हत्या के बाद उसके शराब व खनन कारोबार के बड़े हिस्से पर नामधारी का कब्जा है। भाजपा से निलंबित नामधारी अब भी आरएसएस की राष्ट्रीय सिख संगत का अध्यक्ष है।

”नामधारी निर्मल विरक्त कुटिया प्रकरण में कूटरचना का आरोपी है। उससे पूछताछ में जो जानकारियां मिली हैं। उससे इस केस में मदद मिलेगी। कुल आठ में से चार आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं। शेष की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।

अनुज सिंह
(मुख्य जांच अधिकारी, पुलिस )


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