कुलदीप एस राणा
पर्वत जन ने कुछ हफ्ते पहले ही खबर दी थी कि पूजा भारद्वाज बन सकती है उत्तराखंण्ड आयुर्वेद विश्विद्यालय की कुलपति ।लेकिन हिंदी एवं अंग्रेजी के विज्ञापनो में जान बूझकर योग्यता के मानक को अलग अलग परिभाषित कर उनको अंतिम दौर से बाहर कर दिया गया है।
सूत्र बताते हैं कि इस सम्बन्ध में उन्होंने राज्यपाल के समक्ष प्रत्यावेदन दिया है ।वीसी बनने के अरमान लिए कई आवेदक अपनी अपनी जुगाड़ सेट करने में लगे थे, जिनमें डॉ पंकज शर्मा प्रभारी आयुर्वेद संकाय पहले ही झटके में बाहर हो गए,डॉ उमेश शुक्ला दुनिया से ही रुखसत हो लिए,अंतिम दौर में वर्तमान कार्यवाहक वीसी प्रोफेसर अरुण कुमार त्रिपाठी ,डॉ अभिमन्यु कुमार जो AIIMS आयुर्वेद के निदेशक है तथा डॉ हरिमोहन चंदोला जो चौधरी ब्रह्मप्रकाश चरक संस्थान के निदेशक रह चुके है एवं अन्य का नाम चल रहा है।
सूत्र बताते हैं कि प्रोफेसर अभिमन्यु कुमार सबसे अधिक सशक्त आवेदक हैं लेकिन वे शायद उत्तराखंण्ड आयुर्वेद विश्विद्यालय में आने से अनिच्छुक हैं।
अब वर्तमान सरकार के आयुष मंत्री की पसंद प्रोफेसर अरुण कुमार त्रिपाठी की दावेदारी को भी सशक्त माना जा रहा है।अब देखना है कि सेटिंग के खेल में कौन बाजी मारता है।
डॉ पूजा भारद्वाज की राजभवन को की गई शिकायत कुछ गुल खिला पाती है या प्रोफेसर अरुण कुमार त्रिपाठी को विवादों का लाभ देकर कार्य विस्तार दे दिया जाता है, जानने के लिए पढ़ते रहें पर्वत जन।
उत्तराखंण्ड आयुर्वेद विश्विद्यालय के प्रभारी डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी के 6 महीने का कार्यकाल इसी माह पूरा होने जा रहा है।
अब या तो नियमित कुलपति की नियुक्ति होगी या फ़िर से कार्य विस्तार होगा। लेकिन उत्तराखंण्ड आयुर्वेद विश्विद्यालय अधिनियम 2009 के अनुसार कुलपति विश्विद्यालय का पूर्णकालिक एवं वैतनिक अधिकारी होता है अतः कार्य विस्तार देना विश्विद्यालय की परिनियमावली का उल्लंघन होगा।
सूत्रों के अनुसार कुलपति की नियुक्ति का खेल 292 पदों की नियुक्ति से जुड़ा है, जिसे अभी भी परोक्ष रूप से डॉ मृत्युंजय मिश्रा एवं ओमप्रकाश द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है।
इन दोनो की भी पहली पसंद प्रोफेसर अरुण कुमार त्रिपाठीं हैं