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Home पर्वतजन

केंद्रीय मंत्री उमाभारती ने निकाली कौन सी खुन्नस!!

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नमामि गंगे मे गंगोत्री की उपेक्षा
गंगा के उद्गम उत्तरकाशी मे 15 मे से केवल 8 घाटों  को ही मिली मंजूरी 
किसने चलायी कैंची ?
नमामि गंगे योजना को गंगोत्री मे ही कह दिया प्रणाम।
गिरीश गैरोला
गंगा के उद्गम गंगोत्री से ही नमामि गंगे परियोजना की  उपेक्षा झेलनी पड़ रही है। गंगा के उद्गम उत्तरकाशी मे पूर्व स्वीकृत 15 घाटों मे से केवल 8 को ही निर्माण की स्वीकृति मिली है। सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता प्रेम सिंह पँवार मे कहा कि इस कार्य  के लिए टेंडर किए जा चुके हैं और दिसंबर प्रथम सप्ताह से डेट ऑफ स्टार्ट दी जा सकती है।
दरअसल गंगा मे प्रदूषण को कम करने के लिए गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक नमामि गंगे योजना मे घाट निर्माण होने हैं। इसमे स्नान घाट और मोक्ष घाट दोनों सम्मिलित हैं।
 इसके लिए विस्तृत  सर्वे  के बाद 15 घाटों  का उत्तरकाशी जनपद मे चयन किया गया था। सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार की  वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री उमा भारती ने अंतिम समय पर इस पर कैंची चला दी।
जिन घाटों को स्वीकृति मिली है, उनमे डुंडा, बड़ेथी, मणि- कर्णिका घाट ,केदार घाट, और  हीना–मनेरी  घाट आदि शामिल  हैं। जिसमे पाँच स्नान घाट तो तीन मोक्ष घाट हैं।गंगोत्री घाट इसमे शामिल नहीं है।  पर्वतजन संवाददाता ने सवाल खड़े किए तो गंगोत्री मे घाट निर्माण  के लिए अलग से स्वीकृति लेने की बात कही जा रही है।
नमामि गंगे के प्रदेश प्रमुख हरीश सेमवाल ने साफ कहा कि स्वर्ग से उतरने वाली गंगा की प्रमुख धार गौमुख-गंगोत्री से ही निकली है। राजा भागीरथ ने गंगा को धरती पर उतारा है।
  देव प्रयाग से गंगा शुरू होने के सवाल पर उखड़ते हुए उन्होने कहा कि किसी राजनैतिक व्यक्ति द्वारा अपने स्वार्थ के लिए यह बात प्रचारित की गयी है कि गंगा गौमुख से शुरू न होकर देवप्रयाग से शुरू होती है। किन्तु उत्तरकाशी मे घाटों के निर्माण पर कैंची चलाने की बात पर सब्र रखने की नसीहत देते हैं। उन्होने कहा कि मोदी जी ने गंगा स्वच्छता की सौगंध  ली है और खुद सूबे के मुखिया त्रिवेन्द्र सिंह रावत इसके संयोजक हैं।
 संगठन मे होने के नाते कार्य की गुणवत्ता के अलावा अन्य टिप्पणी उनके द्वारा नहीं की जा सकती है फिर भी उन्होने भरोसा दिलाया है, सब काम एक साथ नहीं हो सकते धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा।
गौरतलब है कि नमामि  गंगे के पोस्टर मे गंगोत्री की उपेक्षा पर मंदिर समिति और पंडा समाज ने अपनी नाराजगी जताई थी और सरकार के प्रतिनिधि के रूप मे काबीना मंत्री अरविंद पाण्डेय ने गंगोत्री मंदिर मे मीडिया के सामने सरकार की तरफ से गलती के लिए माफी मांगी थी। अब सवाल ये है कि क्या गंगा के उद्गम पर इस विवाद के चलते ही उत्तरकाशी मे घाट निर्माण पर कैंची चली या यह  केन्द्रीय मंत्री की कोई आध्यात्मिक खुन्नस है ?
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