कुमार दुष्यंत
गंगाबंदी पर फिर रार। गंगासभा व सिंचाई विभाग हुए आमने-सामने।
हरिद्वार।गंगाबंदी को लेकर यूपी सिंचाई विभाग व हरकीपैडी की प्रबंधकारिणी पुरोहितों की संस्था गंगासभा में एकबार फिर रार ठन गई है।गंगासभा जहां वार्षिक क्लोजर के नाम पर हरकीपैडी को जलविहीन करने की सिंचाई विभाग की पारंपरिक व्यवस्था के खिलाफ है।वहीं सिंचाई विभाग अपने तर्कों के आधार पर नहरबंदी पर आमादा है।
उत्तर प्रदेश प्रतिवर्ष दशहरे से दीपावली तक गंगा में जल प्रवाह बंद कर देता है।बड़े मेलों से पूर्व यह अवधि डेढ-दो महीने के लिए भी बढा दी जाती है।इस दौरान हरकीपैडी पर भी नाममात्र को ही जल रहता है।दशहरे और दीपावली के त्योहारी सीजन में क्योंकि हरिद्वार तीर्थयात्रियों व पर्यटकों से गुलजार रहता है।इसलिए गंगासभा व हरिद्वार के व्यापारी त्योहारों के दौरान गंगाबंदी के खिलाफ रहे हैं।उधर सिंचाई विभाग के इस दौरान गंगाबंदी के अपने तर्क रहते हैं।जिसके कारण हरवर्ष इस अवसर पर गंगासभा व सिंचाई विभाग के बीच टकराव होता है।
गंगासभा व सिंचाई विभाग के मध्य यह टकराव राज्य गठन के पूर्व से ही चला आ रहा है।इस विवाद को लेकर कोर्ट-कचहरी भी हुई।लेकिन गंगा पर क्योंकि अब भी यूपी का ही वैधानिक नियंत्रण है।इसलिए इसका कोई हल अबतक नहीं निकल सका।गंगासभा व हरिद्वार के नागरिक जहां त्योहारों के दौरान गंगा बंद करने के खिलाफ हैं।वहीं सिंचाई विभाग का तर्क है कि नहरबंदी के लिए वर्ष में सबसे उपयुक्त यही समय रहता है।कारण बताया जाता है कि इस समय जल प्रधान फसलें कट जाती हैं।व बारिश के कारण भूमि जल से तृप्त होती है।क्योंकि कृषि के लिए इस समय जल की आवश्यकता नहीं होती।इसलिए इसी दौरान गंगाबंदी की जाती है।
उल्लेखनीय है कि तीन सौ किलोमीटर लंबी गंगनहर हरिद्वार से कानपुर तक बहती है।इस बीच कृषि क्षेत्र की सिंचाई गंगा के पानी से ही होती है।दिल्ली को पीने का पानी भी इसी गंगनहर से मयस्सर होता है।सिंचाई विभाग का यह भी तर्क है कि बरसात में गंगनहर में गाद आ जाने से उसकी जलवहन क्षमता प्रभावित होती है।गंगनहर की सफाई व गंगनहर पर बनी हुई विभिन्न जल परियोजनाओं में मरम्मत आदि कार्यों के लिए भी गंगा बंदी जरूरी होती है।उधर गंगासभा का तर्क है कि सिंचाई विभाग को गंगनहर बंद करने का अधिकार है।लेकिन हरकीपैडी को जलविहीन करने का नहीं। गंगासभा के अध्यक्ष पुुरुषोत्त शर्मा गांधीवादी काा कहना है कि, “यूपी सिंचाई विभाग लोगों
की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहा है।वह हर हालत में हरकीपैडी पर जल बनाए रखने के ब्रिटिश सरकार से गंगासभा के हुए समझौते का भी उल्लंघन करता आ रहा है।गंगासभा अब इसका स्थायी समाधान चाहती है।हमारी मांग है कि मायापुर से आगे गंगनहर बंद की जाए। इसके लिए यूपी के मुख्यमंत्री से बात की जाएगी व यदि सुप्रीम कोर्ट भी जाना पड़ा तो गंगासभा उससे भी पीछे नहीं हटेगी।” उधर यूपी सिंचाई विभाग ने इसबार दशहरे से पूर्व ही गंगाबंदी का ऐलान कर आग में घी डालने का काम कर दिया है।व्यापारी भी सिंचाई विभाग के इस फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं।आने वाले दिनों में गंगाबंदी यूपी के साथ एक बड़े विवाद का रुप ले सकती है।