कीर्तिनगर। टिहरी गढ़वाल के कीर्तिनगर ब्लॉक के अंतर्गत डागर रैंतासी मोटरमार्ग में ४ किमी. सड़क स्वीकृत हुई थी। जिस पर २ किमी. की कटिंग भी हो चुकी है, जबकि बाकी सड़क निर्माण का कार्य अधर में लटका हुआ है। यदि इस सड़क का निर्माण पूरा हो जाता तो इससे क्षेत्र के करीब आधा दर्जन गांव सड़क संपर्क मार्ग से जुड़ जाते।
दूसरी पीपलीधार पाली गोदी मोटर मार्ग, जो कि इसी सड़क के साथ आगे जाकर २ किमी. के बाद कटिंग होकर कुल ७ किमी. सड़क बननी थी। यह सड़क भी करीब ढाई किमी. तक कटिंग होने के बाद इसका काम रोक दिया गया। अगर इस सड़क का निर्माण हो जाता तो इससे करीब ७-८ गावों की समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
सामाजिक कार्यकर्ता लब्बु भाई बताते है कि उक्त सड़क पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में स्वीकृत हुई थी, लेकिन मार्च २०१७ में प्रदेश से कांग्रेस सरकार चली गई और भाजपा सरकार सत्ता में आ गई। इसी बीच ऐसा कुछ हुआ कि कोठार ग्रामवासियों का मन बदल गया और उन्होंने दोनों सड़क निर्माण को लेकर अड़ंगा लगा लिया। जिससे निर्माण कार्य में लगी जेसीबी मशीन को रुकवाकर वापस भेज दिया गया। इससे पहले सर्वे के दौरान ग्रामीण सड़क निर्माण को लेकर अपनी सहमति दे चुके थे।
भाजपा ने चुनावों के दौरान आम जनता को ऐसे हसीन सपने दिखाए थे कि उनकी मूलभूत समस्याओं का समाधान उनकी सरकार बनते ही कर दिए जाएंगे, लेकिन आज त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देशन में चलने वाली भाजपा सरकार को एक साल हो गया है, लेकिन उक्त सड़कों का कार्य जस का तस पड़ा हुआ है। इससे क्षेत्रवासियों में गहरी निराशा छाने लगी है।
अब ग्रामीणों ने ठान लिया है कि इन सड़कों के निर्माण को लेकर चाहे कुछ भी करना पड़े, लेकिन इनका निर्माण पूरा होने तक वे हर समस्याओं व विरोधों के आगे मोर्चे पर डटे रहेंगे।
उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट होता है कि उक्त सड़कें रोकने के पीछे राजनीतिकरण ही मुख्य कारण रहा होगा। यदि ऐसा नहीं होता तो फिर गतिमान सड़क निर्माण कार्य को सत्ता बदलते ही क्यों रोक लिया जाता और वहां काम कर रही जेसीबी को रोककर वापस क्यों भेज दिया जाता। वह भी तब जब कोठार गांववासी पहले ही सड़क निर्माण के लिए अपनी सहमति जता चुके हों।
धरने पर बैठने वालों में क्षेत्र पंचायत सदस्य कोठार रेतासी लखपति फोंदनि, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य कोठार रैतासी लोकेंद्र नेगी, ग्राम प्रधान रैतासी निर्मला देवी, ग्राम प्रधान थाती डागर आषाढ़ी देवी, भौं सिंह, आलम सिंह, गंभीर सिंह, चंद्रमोहन सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता लब्बु भाई, सूर्यपाल सिंह राणा, गुरु प्रसाद एवं रुक्म सिंह राणा, त्रेपन सिंह जोखी, चित्रमणि भट्ट, प्रभुदयाल डागर आदि शामिल थे।