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ट्रेजरी मे लगा भ्रष्टाचार का घुन : कभी देखी है ऐसी ज़ीरो टोलरेंस?

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कार्रवाई  से क्यों  डर रहे उच्चाधिकारी ?

गिरीश गैरोला/ उत्तरकाशी

जिले के आधा दर्जन जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा जिला कोषागार मे तैनात सहायक कोषाधिकारी के खिलाफ रिश्वत के लिए परेशान करने की लिखित  शिकायत के बाद भी उच्चाधिकारी कार्यवाही  के नाम पर कागजों को  यहाँ से वहां दौड़ा रहे हैं। आलम ये है कि आरोपी के खिलाफ फ़ाइल तो मोटी  होती जा रही है किन्तु आरोपी सरकारी दामाद को पुरोला ट्रान्सफर  करने के बाद विभागीय अधिकारी मामले पर  चुप्पी साध गए हैं |

सूबे मे न भय न भ्रष्टाचार  अबकी बार बीजेपी सरकार के लुभावने नारे  के साथ प्रचंड बहुमत की सरकार ने आते ही अपनी ज़ीरो टोलरेंस की नीति का खूब बखान मीडिया मे  किया था अब तो खुद  इस दावे मे भी मिलावट की बू आने लगी है | उत्तरकाशी जनपद मे  ट्रेजरी विभाग के  सहायक कोषाधिकारी बीएस  राणा के काले कारनामों की करतूत किसी से छुपी नही है।

 लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड चिन्यालीसौड, लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड उत्तरकाशी, सिंचाई विभाग, युवा कल्याण और प्रांतीय रक्षक दल , पुलिस विभाग  सहित कई अन्य सरकारी विभागों ने उक्त कर्मचारी पर जानबूझ कर उनकी फ़ाइल रोकने और अकारण आपत्ति लगाए जाने की  लिखित शिकायत उच्चाधिकारियों से की  थी । इतना ही नहीं विभाग कि सुरक्षा मे तैनात गार्ड कमांडर ने भी उक्त कर्मचारी पर अशांति फैलाने का आरोप लगाते हुए शिकायती पत्र भेजा है।हर फ़ाइल पर रिश्वत की मांग करने वाले इस कर्मी ने सीडीओ ऑफिस को भी नहीं बख्शा।
विभाग के इस सरकारी दामाद के पास जनवरी  2015 से लेकर जून 2015 तक ट्रेजरी ऑफिसर का भी प्रभार दिया गया था ।
 तमाम शिकायत मिलने के बाद वरिष्ठ कोषाधिकारी हिमानी स्नेहा ने अधीनस्थ कर्मचारियों की  बैठक बुलाकर कड़ी हिदायत  दी , आरोप है कि इस दौरान भी उक्त कर्मी ने उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 का उल्लंघन करते हुए मादक पदार्थ का सेवन करते हुए कार्यालय  मे उत्पात मचाया और शांति भंग की और उच्चाधिकारियों के खिलाफ गालीगलोज की। वरिष्ठ कोषाधिकारी के पत्रांक संख्या 342 दिनांक 17 जुलाई 2017 जो  डीएम और अपने निदेशक कोषागार पेंशन एवं हकदारी को लिखा गया शिकायती  पत्र इसकी तस्दीक करता है |
शिकायत मिलने पर डीएम उत्तरकाशी ने पत्रांक संख्या 386 दिनांक 17 जुलाई 2017 भी वारिस्ठ कोषाधिकारी के मूल पत्र के साथ अपनी संस्तुति निदेशक कोषागार को भेज दी। जिसमे   बताया गया है कि उक्त कर्मी सुविधा शुल्क के एवज मे फ़ाइल मे आपत्ति लगाने का काम कर रहा है |
लेकिन इतनी भ्रष्ट करतूतों की शिकायतों के बावजूद इस अधिकारी को अभी भी सरकारी दामाद बनाकर पुरोला भेज कर कर्तब्य  की इतिश्री कर ली गयी है |
सुशासन के लिए जागरूक हर नागरिक अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वहन करते हुए उच्च अधिकारियों को इसकी सूचना देता है किन्तु सबूत और सूचना मिलने के बाद भी उच्च  अधिकारियों का नकारात्मक रवैया ऐसे लोगों को हतोत्साहित करता है | यदि हर कोई – जाने दो यार- की इस नीति पर चलने लगेगा तो सूबे मे ज़ीरो नहीं ,100% टोलरेंस का नारा देना पड़ेगा।
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