भूपेंद्र कुमार
देहरादून में विगत काफी समय से लग रहे जनता दरबार में फरियादियों की भारी भीड़ बताती है कि लोगों को जिलाधिकारी से काफी उम्मीदें हैं। किंतु पिछले दिनों कई शिकायतें लेकर फरियादी दोबारा से वही पुरानी शिकायतें लेकर जनता दरबार में आए तो जिलाधिकारी के साथ-साथ इस संवाददाता का भी माथा ठनका।
आखिर जिन शिकायतों पर निस्तारण के लिए जिलाधिकारी आदेश दे देते हैं उन्हीं शिकायतों को लेकर फरियादी फिर से जनता दरबार में आने के लिए क्यों मजबूर होते हैं !
12 फरवरी को इस संवाददाता ने आसमान छू रही सब्जियों के दाम के संबंध में एक शिकायत जिलाधिकारी की जनता दरबार में दी। इस शिकायत का आशय यह था कि सब्जी फल विक्रेता अपनी दुकानों पर अथवा ठेलियों पर सामान की रेट लिस्ट लगाए बिना थोक मंडियों से खरीदी गई फल सब्जियों को कई गुना अधिक मनमाने दामों पर बेच रहे हैं।
जिलाधिकारी ने जिला पूर्ति अधिकारी को निर्देशित किया कि इस संबंध में तत्काल कार्यवाही की जाए। किंतु जिला पूर्ति अधिकारी विपिन कुमार ने 23 फरवरी को अपने पाले की गेंद सचिव मंडी परिषद के पाले में खिसका दी और साथ ही कहा कि इस पर कड़ा संज्ञान लिया जाए।
9 मार्च 2018 को मंडी समिति ने यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए कि मंडी समिति किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलवाने के लिए कटिबद्ध है। फुटकर बिक्री और मूल्य नियंत्रण उनकी समिति के क्षेत्र से बाहर का विषय है।
अब 7 अप्रैल को ही जिला पूर्ति अधिकारी ने विधिक बाट माप विज्ञान नियंत्रक को भी कार्यवाही के लिए पत्र भेजा है। इसके साथ ही जिला पूर्ति अधिकारी विपिन कुमार ने समस्त क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी और पूर्ति निरीक्षकों को इस प्रकरण का कड़ा संज्ञान लेते हुए अपने अपने क्षेत्र अंतर्गत अनवरत नियमानुसार आवश्यक विभागीय कार्यवाही करने का आदेश दिया है।
अब बड़ा सवाल यह है कि जिलाधिकारी द्वारा आदेश दिए जाने पर खुद जिला पूर्ति अधिकारी को यह पता नहीं है कि यह मूल्य नियंत्रण किसके अधीन है। कभी वह मंडी समिति को पत्र लिखते हैं तो कभी बाट माप विज्ञान के नियंत्रक को। अर्थात जब खुद जिला पूर्ति अधिकारी की यह स्पष्ट नहीं है कि कार्यवाही किसके स्तर से होगी और क्या कार्यवाही होगी तो वह अपने अधीन क्षेत्रीय खाद्य अधिकारियों और पूर्ति निरीक्षकों को कैसे कड़ी कार्यवाही करने का आदेश दे सकते हैं ! जाहिर है कि इस पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। ऐसे में सिर्फ अपने पाले की गेंद अन्यत्र खिसकाने के अलावा अधिकारी कुछ खास नहीं कर रहे हैं और फरियादियों की फरियाद फिजूल जा रही हैं।