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Home पर्वतजन

तो गायब नही थी टीचर और न उन्होने रखा था ऐवजी शिक्षक!

in पर्वतजन
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इंद्रेश मैखुरी 

16 नवंबर 2017 यानि कल के कुछ समाचार पत्रों और कतिपय वेब पोर्टल्स ने एक बड़ी सनसनीखेज खबर छपी थी.खबर के अनुसार सरकारी प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका ने ठेके पर पढ़ाने के लिए दूसरा व्यक्ति रखा हुआ था और वह स्वयं विद्यालय से गायब थी.खबर के अनुसार यह मामला राजकीय प्राथमिक विद्यालय,लंगासू का है.खबर के अनुसार उक्त विद्यालय में प्रधान अध्यापिका के रूप मे तैनात शशि कंडवाल अपने विद्यालय मे मौजूद नहीं थी और उन्होने अपने स्थान पर प्रतिनिधि अध्यापक रखा हुआ था.इसलिए जिला शिक्षा अधिकारी(प्राथमिक शिक्षा),चमोली,नरेश कुमार हल्दयानी ने उक्त प्रधानाध्यापिका को निलंबित कर दिया।

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यह घटना प्रथम दृष्टिया बेहद गंभीर प्रकृति की प्रतीत होती है.आखिर कोई शिक्षक ऐसा कैसे कर सकता है?लगा कि जिला शिक्षा अधिकारी(प्राथमिक) के पद पर तैनात नरेश कुमार हल्द्यानी कोई बड़े जोरदार वाले अफसर होंगे,जिन्होंने इतना संगीन मामला पकड़ लिया.सुनते हैं कि हल्दियानी साहब ने भी मीडिया वालों को यही बताया कि देखो पहाड़ में इतना संगीन मामला पहली बार मैंने ही पकड़ा.बहरहाल मामले की गंभीरता और उस पर अपना पक्ष तय करने की दृष्टि से हमने मामले की अपने स्तर से पड़ताल शुरू की.थोड़ी सी ही जांच-पूछ में जो तथ्य और दस्तावेज सामने आए हैं,वे समाचार पत्रों मे प्रकाशित, जिला शिक्षा अधिकारी(प्राथमिक शिक्षा),चमोली,नरेश कुमार हल्दयानी के दावों के बिलकुल विपरीत हैं.
जिला शिक्षा अधिकारी(प्राथमिक शिक्षा),चमोली,नरेश कुमार हल्दयानी के दावे के अनुसार प्रधानाध्यापिका शशि कंडवाल ने अपने स्थान पर प्रतिनिधि अध्यापक नियुक्त किया हुआ था॰ यह दावा सरासर झूठा और बेबुनियाद है॰निश्चित ही उक्त प्राथमिक विद्यालय में एक शिक्षक और है,लेकिन वह शशि कंडवाल द्वारा ठेके पर नहीं रखी गयी है.बल्कि इस एकल अध्यापक वाले विद्यालय की प्रबंध समिति ने उक्त शिक्षिका को तैनात किया है.राजकीय प्राथमिक विद्यालय लंगासू की विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक मे 16 अक्टूबर 2017 को प्रस्ताव पारित करके विद्यालय मे कुमारी रिया कौशल को नियुक्त किया॰ यह प्रस्ताव,विद्यालय प्रबंध समिति की उक्त तिथि को हुई बैठक के कार्यवृत्त(minutes) में प्रस्ताव संख्या 6 के तौर पर अंकित है.उक्त प्रस्ताव में यह भी दर्ज है कि उक्त शिक्षिका को मानदेय विद्यालय प्रबंध समिति देगी.जब शिक्षिका को विद्यालय प्रबंध समिति ने नियुक्त किया और मानदेय भी प्रबंध समिति ही देगी तो फिर उक्त शिक्षिका को शशि कंडवाल द्वारा निजी खर्च या ठेके पर रखा जाना कैसे कहा जा रहा है?
दूसरा आरोप यह है कि उक्त प्रधानाध्यापिका, जिला शिक्षा अधिकारी(प्राथमिक शिक्षा),चमोली,नरेश कुमार हल्दयानी के औचक निरीक्षण के वक्त गायब थी. घटना यह 14 नवंबर 2017 की है और अखबारों और न्यूज़ पोर्टल्स पर इसका चर्चा 16 नवम्बर को हुआ.14 नवम्बर को शशि कंडवाल,अपने विद्यालय की दो विद्यार्थियों को कर्णप्रयाग मे भाषा-गणित विजार्ड प्रतियोगिता मे प्रतिभाग करवाने हेतु ले कर गयी. उक्त प्रतियोगिता मे एक छात्रा कुमारी नियति को प्रथम स्थान भी प्राप्त हुआ। हमारी पड़ताल के अनुसार उक्त प्रतियोगिता मे छात्रों को ले जाने की जानकारी प्रधानाध्यापिका द्वारा विद्यालय के गमन-आगमन रेजिस्टर मे दर्ज की गयी थी तथा सी॰आर॰सी॰ को भी सूचित कर दिया गया था.ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारी(प्राथमिक शिक्षा),चमोली,नरेश कुमार हल्दयानी का अखबारों मे प्रकाशित यह बयान भी बेबुनियाद है कि उनके औचक निरीक्षण के वक्त प्रधानाध्यापिका शशि कंडवाल विद्यालय से गायब थी
यह बेहद आश्चर्यजनक है कि जो तथ्य और दस्तावेज,थोड़ी सी पड़ताल के बाद हमारे सामने आ गए,वही तथ्य जिला शिक्षा अधिकारी(प्राथमिक शिक्षा),चमोली,नरेश कुमार हल्दयानी जी को तमाम दस्तावेजों का निरीक्षण करने व तलब करने का अधिकार होने के बावजूद ज्ञात नहीं हो सके और उन्होने एक कर्तव्यनिष्ठ अध्यापिका के विरुद्ध न केवल निलंबन की कार्यवाही की,बल्कि इस आशय का समाचार भी छपवा दिया.आश्चर्य तो समाचार लिखने वालों पर भी होता है,जिन्होंने बिना तथ्यों की जांच किये समाचार छाप दिया.देहरादून से संचालित एक न्यूज़ पोर्टल के तो लगभग सभी प्रतिनिधि सोशल मीडिया पर इस खबर को प्रसारित करने में पूरा दिन जोर लगाए रहे.उन्होंने, उक्त शिक्षिका के फेसबुक से भी तस्वीरें, अपनी खबर में चस्पा की,जिनका उक्त खबर से कोई लेना-देना नहीं था.कल ही राष्ट्रीय प्रेस दिवस भी था.पर जिनके लिए पत्रकारिता का मतलब सिर्फ सनसनी है,वे तो रोज ही खबरों को जलाने की हद तक प्रेस करते ही रहते हैं.इसके लिए वे किसी दिवस के मोहताज थोड़े ही हैं !
इस बात की जांच की जानी चाहिए कि एक कर्तव्यनिष्ट अध्यापिका,जो अकेले ही प्राथमिक स्कूल का संचालन कर रही हैं,उसके खिलाफ इस तरह की दुराग्रहपूर्ण कार्यवाही क्यूँ की गयी? प्रधानाध्यापिका शशि कंडवाल के निलंबन का आदेश तत्काल रद्द किया जाना चाहिए तथा उक्त प्रधानाध्यापिका के विरुद्ध इस तरह की दुराग्रह पूर्ण कार्यवाही करने वाले अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाये ताकि वे भविष्य मे इस तरह की उत्पीड़नात्मक कार्यवाही न कर सकें।
(नोट-इस लेख में उल्लिखित दस्तावेजों की प्रति हमने व्यक्तिगत प्रयासों से हासिल की है,जो मामले की गंभीरता को देखते हुए,पोस्ट नहीं किये जा रहे हैं.इस मामले में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और चमोली के जिलाधिकारी को कार्यवाही हेतु ज्ञापन ई-मेल से भेजा गया है.उम्मीद है कि एक कर्तव्यनिष्ठ शिक्षिका के प्रकरण का वे संज्ञान लेंगे)

(श्री इंद्रेश मैखुरी की फेसबुक वाल से साभार)

प्रिय पाठकों!कल 17नवंबर को पर्वतजन ने भी यह खबर अधिकारियों के हवाले से प्रकाशित की थी। खबर का दूसरा पहलू सामने आने पर उसे भी हूबहू प्रकाशित कर रहे हैं।जिला शिक्षा अधिकारी ने भी प्रेस को गलत जानकारी दी हो सकती है।सच्चाई जांच का विषय है किंतु प्रथम टीचर हमे भी सही प्रतीत होती हैं। जिला शिक्षा अधिकारी ने भी प्रेस को गलत जानकारी दी हो सकती है।  हम उनके सम्मान में यह पक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। अपितु यह भी सच है कि कई टीचर अपने बदले ठेके पर दूसरों को रख कर खुद गायब रहते हैं। इस पर पर्वतजन पहले भी खुलासा करता रहा है तथा आगे भी जारी रखेगा।आपको भी ठेके पर पढा रहे ऐवजी शिक्षक का प्रकरण पता चले तो हमे 9412056112 पर  बताइए। हमारे रिपोर्टर मौके पर जाकर कवर करेंगे।टीचर अथवा किसी अन्य को ठेस लगी हो तो हमे खेद है।हम आपके लिए ही लिखते हैं आप चाहो हम पर गुस्सा निकाल सकते हो।

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