नीरज उत्तराखंडी
बालिका विद्यालय में ढांचागत सुविधाओं का अभाव,भेदभाव पूर्ण स्थानांतरण नीति तथा भौतिक व गृह विज्ञान की शिक्षिकाओं के लम्बे अरसे से गैरहाजिर रहना ,गणित तथा अंग्रेजी विषयों के पद रिक्त होना,खाली पड़े पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति न करना,सरकारी सिस्टम की बेरुखी से आहत बरसाती आंसू टपकती विद्यालय भवनों की बूढ़ी हो चुकी छतें, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “बेटी बचाओ, बेटी पढाओ” के सपने को साकार करने में सबसे बड़ी बाधाएं साबित हो रही है।
जी हाँ कुछ ऐसा ही हल है जनपद उत्तरकाशी के विकास खण्ड पुरोला में संचालित ब्लाक का एकमात्र राजकीय बालिका इण्टरमीडिएट कालेज का।
बावजूद इसके अधिकांश कर्तव्यपरायण शिक्षिकाओं के अथक प्रयास और मेहनत के चलते प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
परिणामस्वरूप बालिका इन्टर कालेज में छात्राओं की संख्या तथा शिक्षा की गुणवत्ता में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है लेकिन ढांचा गत मूलभूत सुविधाओं का अभाव बालिकाओं की शिक्षा में सबसे बडी मुसीबत बन गई है। जिसके चलते चाहते हुए भी शिक्षिकाएं छात्राओं को विद्यालय में प्रेवश नहीं दे पा रही है। छात्राओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है लेकिन पर्याप्त कक्षा कक्ष न होने से पठन-पाठन कार्य प्रभावित हो रहा है। जो भवन बनायें गये हैं खस्ताहाल है उनमें दरारें आ गई हैं।तथा छतों से पानी टपकता है ।विद्यालय में न तो खेल मैदान है और न ही प्रयोगशाला के लिए उचित जगह, पुराने भवनों में पठन-पाठन का कार्य चल रहा है।बरसात में विद्यालय की छतें टपकने से स्थिति और विकट हो जाती है।
राइका बलिका विद्यालय में प्रवक्ता के 10 पद स्वीकृत है जिनमें सरकारी अभिलेखों में कहने को तो 9 पद भरे गये हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि वर्तमान में यहाँ 7 प्रवक्ता की विद्यालय में पढ़ा रहीं हैं।जबकि भौतिक विज्ञान की प्रवक्ता प्रीति चौधरी अनवरत 8 माह से तथा गृह विज्ञान की प्रवक्ता शबाना हसन वर्ष 2016 अनुपस्थित चल रही है। वहीं अंग्रेजी प्रवक्ता का पद विगत 1वर्ष से रिक्त पड़ा है।इससे पूर्व विनीता शाह की नियुक्ति अंग्रेजी प्रवक्ता के पद पर हुई थी जिन्हें यहाँ से अन्यत्र अटैच किया गया तथा वेतन लाभ यहाँ से। लेती रही।
छात्राओं के सामने एक सबसे बडी समस्या यह भी आड़े आ रही है कि यदि छात्राएँ इंटर में वैज्ञानिक वर्ग में गणित विषय से पढ़ाई करना चाहती तो उसे अन्य स्कूलों का रूख करना पड़ता है क्योंकि यहां इंटर में गणित विषय का पद स्वीकृत ही नहीं है। इस बीच राहत भरी खबर यह है कि जीव विज्ञान की पढाई की जा सकती है।लेकिन लेब का अभाव बालिकाओं के सपनों को लील रहा है
वहीं दूसरी ओर कालेज में एलटी में 12 पद स्वीकृत है जिनमें 9पद भरें हैं तथा3 पद खाली पड़े हैं।खाली चल रहें इन 3पदों में 2 सामान्य विषय तथा 1पद गणित जैसे महत्वपूर्ण विषय का पद रिक्त चल रहा है।ऐसे में भला बेटी बचाओ बेटी पढाओ का सरकार का सपना कैसे साकार हो सकेगा।
जी हां कुछ ऐसी ही कहानी है पुरोला राजकीय बालिका इण्टरमीडिएट कालेज की।
जनपद उत्तरकाशी के इस राजकीय बालिका इण्टरमीडिएट कालेज में पिछले स्तर में 367 छात्राएं अध्ययन कर रही थी । वर्तमान शिक्षा स्तर में अब तक छात्राओं 446 संख्या हो गई है। जिनमें कक्षा 6 में 48 कक्षा 7 में 57 कक्षा 8 में 36 छात्राएं पढ़ रही है।
वही हाई स्कूल में कुल160छात्राएं अध्ययनरत है। जिनमें कक्षा 9 में वर्ग क में 39 तथा वर्ग ख में 41 छात्राएं कक्षा 10में सेक्शन ए में 38 तथा बी में 42 छात्राएं अध्ययन कर रही है।
वहीं इंटर 145 विद्यार्थी है जिनमें कक्षा 11में साहित्यिक वर्ग में 64 तथा वैज्ञानिक वर्ग में 10 है। व कक्षा 12 में आर्ट वर्ग में 59 तथा साइंस वर्ग में 12 छात्राएँ पढती है।
लेकिन विद्यालय में बैठने की उचित व्यवस्था न होने से छात्राओं को पठन-पाठन कार्य में परेशानी होती है।उचित बैठक व्यवस्था और खेल मैदान के अभाव में छात्राओं के शैक्षिक और खेल भविष्य पर प्रतिकूल असर पड रहा है।
बालिका विद्यालय में शिक्षिकाओं के प्रधानाचार्य सहित कुल 23 पद स्वीकृत है जिनके सापेक्ष19 पद भरें है 17 अध्यापिकाएं कार्यरत है 2 शिक्षिकाएं काफी समय से गैरहाजिर चल रही है। तथा 4पद खाली है।
तकलीफ़देह तो यह है कि भौतिक विज्ञान तथा गृह विज्ञान के पद तो भरे गये है ।लेकिन इन पदों पर तैनात शिक्षिकाएं काफी समय से विद्यालय में अनुपस्थित चल रही है। यही नहीं अंग्रेजी तथा गणित जैसे कठिन समझे जाने वाले विषयों के पद खाली पड़े हैं ऐसे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि शिक्षा विभाग और सरकार प्रधानमंत्री के सपने बेटी बचाओ बेटी पढाओ को साकार करने के प्रति कितने संजीदा है। सरकार में अच्छी पहुँच रखने वाली शिक्षिकाएं विद्यालय में लम्बे समय से अनुपस्थित रह कर बालिकाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।बताया जा रहा है कि ये दोनों प्रवक्ता अस्वस्थता के चलते काफी लम्बे समय से गैरहाजिर है।तथा मैडिकल अवकाश पर है।
गौरतलब है कि इससे पूर्व तो यहाँ तैनात अंग्रेजी प्रवक्ता विनीता शाह भी काफी समय तक विद्यालय से गायब रही तथा वेतन का लाभ लेती रही ।
विद्यालय में चहारदीवारी न होने से नगर के आवारा पशु तथा असामाजिक तत्व स्कूल परिसर में घुसकर गन्दगी तथा तोड़ फोड़ करते है।
कालेज की प्नधानाचार्य बन्दना ढौडियाल का कहना है कि विद्यालय में छात्राओं की संख्या तो प्रतिवर्ष बढ रही है लेकिन उचित बैठक व्यवस्था न होने से पठन-पाठन कार्य प्रभावित हो रहा है। विद्यालय जूनियर के पुराने भवनों में ही संचालित किया जा रहा है। छात्राओं की संख्या के सापेक्ष हमारे पास पर्याप्त कक्षा कक्ष नहीं है।स्कूल की छतें बरसात में टपकती है, जिससे अध्ययन कार्य प्रभावित होता है।भवन निर्माण के प्रस्ताव विगत कई वर्षों से प्रशासन को भेजे जा रहे लेकिन अभी तक बजट नहीं मिला है।
वही अभिभावक समिति के। अध्यक्ष कवीन्द्र असवाल का कहना है कि विद्यालय के कुछ भवनों में दरारें आ गई है तथा छतों से पानी पटकता है जहां छात्राओं को बैठना खतरों से खाली नहीं है।उन्होने लोनिवि अधिकारियों के साथ लेकर विद्यालय के खस्ताहाल भवनों का निरीक्षण भी करवा चुके है। विद्यालय की समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर।वे शिक्षामंत्री के सचिव से मुलाकात कर चुके हैं उन्होंने शीघ्र समाधान करने का आश्वासन दिया है।