उत्तराखंड में राज्यसभा सीट के लिए आखिर तक जोर लगाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को भारतीय जनता पार्टी ने जोर का झटका धीरे से लगाया। राज्यसभा में जाने की चाह में बहुगुणा ने जब देहरादून की डिफेंस कालोनी में कुछ विधायकों के साथ रात्रिभोज कर भारतीय जनता पार्टी पर दबाव बनाने की कोशिश की तो भाजप हाईकमान ने बहुगुणा की इस दबाव की राजनीति को सिरे से खारिज करते हुए उत्तराखंड से अनिल बलूनी को टिकट देकर स्पष्ट कर दिया कि दबाव की राजनीति से बहुगुणा का भला नहीं होने वाला।
2013 में जब विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने तो बहुगुणा ने टिहरी लोकसभा सीट से इस्तीफा दिया था। उसके बाद उनके स्थान पर उनके बड़े बेटे साकेेत बहुगुणा मैदान में उतरे तो भारतीय जनता पार्टी ने राज्यलक्ष्मी शाह को मैदान में उतारा। सत्ता मद में चूर बहुगुणा ने तब राज्यलक्ष्मी शाह को पहले तो मोम की गुडिय़ा बताया। इतने से भी जब काम नहीं चला तो बहुगुणा ने कहा कि राज्यलक्ष्मी शाह तो लोकसभा मटीरियल ही नहीं है। बेहतर हो कि भारतीय जनता पार्टी राज्यलक्ष्मी शाह को कहीं से राज्यसभा भेज दे। राज्यलक्ष्मी शाह ने तब उन्हें राज्यसभा मटीरियम और मोम की गुडिय़ा कहे गए शब्दों को चुनावी मुद्दा बना दिया, जो आखिर में साकेत बहुगुणा की हार का भी एक कारण बना।
राज्यसभा के लिए अनिल बलूनी का टिकट फाइनल होने पर उतनी मिठाई नहीं बंटी, जितनी राज्यलक्ष्मी शाह के समर्थकों ने विजय बहुगुणा का पत्ता साफ होने पर बांट डाली। देखना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में साकेत बहुगुणा और राज्यलक्ष्मी शाह के बीच मचे द्वंद्व में किसकी जीत होती है ? विजय बहुगुणा आखिर तक जोरआजमाईश करेंगे, ताकि राज्यलक्ष्मी के समर्थकों द्वारा बंटवाई गई मिठाई का हिसाब चुकता किया जा सके।