आखिरकार गन्ना आयुक्त ललित मोहन रयाल का ट्रांसफर कुछ घंटों के बाद ही रद्द कर दिया गया। भारतीय किसान मोर्चा ने गन्ना आयुक्त ललित मोहन रयाल का ट्रांसफर निरस्त कराने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री का पुतला फूंका और ऐलान किया था कि यदि ट्रांसफर रद्द नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का विरोध करेंगे और उन्हें काले झंडे दिखाएंगे।
किसानों का आरोप था कि ईमानदार गन्ना आयुक्त को सरकार ने गन्ना मिल मालिकों के दबाव में हटा दिया है क्योंकि गन्ना आयुक्त ने चीनी मिल के खिलाफ बकाया भुगतान ना होने पर आरसी जारी की थी।
सरकार ने आरसी जारी किए जाने के कुछ घंटों के बाद ही गन्ना आयुक्त को हटा दिया था। इससे किसानों में काफी रोष था किंतु मुख्यमंत्री के पुतले फूंके जाने और दूसरे दिन काले झंडे दिखाए जाने का ऐलान के बाद सरकार हरकत में आई और ललित मोहन रयाल का ट्रांसफर रद्द कर दिया।
गौरतलब है कि कल मुख्यमंत्री का रुड़की का दौरा प्रस्तावित था। अपने पुतले फूंकने से दिल्ली सरकार ने तत्काल ललित मोहन रयाल का तबादला रद्द कर दिया। उत्तराखंड किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष महकार सिंह के नेतृत्व में किसानों ने नारेबाजी करते हुए आज दिल्ली हरिद्वार राजमार्ग पर मुख्यमंत्री का पुतला फूंका।
जिला अध्यक्ष ने कहा कि जो काम मुख्यमंत्री तथा गन्ना मंत्री को करना चाहिए था वह गन्ना आयुक्त ललित मोहन रयाल कर रहे थे।
उन्होंने चीनी मिलों पर नकेल कसना शुरू किया, लेकिन शुगर फैक्ट्री मालिकों के दबाव में उनका ट्रांसफर कर दिया गया।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि गन्ना आयुक्त रयाल ने घटतोली पर लगाम लगाई थी। गन्ना आयुक्त ने किसानों का भुगतान जारी नहीं करने पर लिब्बरहेडी शुगर मिल की भी आरसी जारी कर दी थी। आरसी कटने के 24 घंटे के अंदर ही गन्ना आयुक्त का ट्रांसफर कर दिया गया था। इससे किसानों में काफी आक्रोश था। यहां तक कि पर्वतजन ने तबादले की खबर प्रकाशित की तो पाठकों ने गन्ना आयुक्त के ट्रांसफर का संज्ञान लेकर इस पर खबर लिखने का भी आदेश दिया था।
आज पर्वतजन ने भी शासन स्तर पर इस तबादले के औचित्य को लेकर सवाल खड़े किए तो सरकार ने किसानों के दबाव में गन्ना आयुक्त का तबादला निरस्त कर दिया। जाहिर है कि यही जनता की और जनता के मीडिया सोशल मीडिया यानी पर्वतजन की भी जीत है।