मुख्यमंत्री बनने का कोई शौक नहीं-गंगा माँ से अपने लिए कुछ नहीं मांगने आया – बस आपदा से प्रदेश की जो छवि खराब हुई गंगा मां से उसे ठीक करने की मांग की है–मंत्री अरविंद पांडे
स्कूल मे नही बनेगा मिड डे मील -15 करोड़ की आधुनिक आॅटोमेटिक किचन मे एकसाथ बनेगा डेढ़ लाख छात्रों का भोजन।
पीआरडी के जवान होंगे स्थायी
संस्कृत के जानकार बनेंगे योग शिक्षक
गिरीश गैरोला
स्वच्छ भारत मिशन के तहत गंगोत्री से शुरुआत करने पहुंचे शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे बेमौके बे सबब बहक गए। उन्होंने बिना पूछे ही खुद को मुख्यमंत्री न बनने की इच्छा का बखान करके सियासी हलकों में हलचल ला दी है।
राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग चर्चा कर रहे हैं कि आखिर ऐसा कौन सा समीकरण है, जिसके चलते अरविंद पांडे को यह लगता है कि वह मुख्यमंत्री बनने के दावेदार हैं। क्या कोई उन्हें कोई मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रयास करने हेतु उकसा रहा है!
एक सवाल यह भी है कि क्या कोई मैदानी विधायकों का ऐसा समीकरण है, जिसके चलते उन्हें यह बात कहनी पड़ी! गौरतलब है कि पिछली भाजपा सरकार में भुवन चंद्र खंडूरी से तत्कालीन कैबिनेट मंत्री तिलक राज बेहड़ और मदन कौशिक ने मैदानी जिलों से एक उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की बात कही थी।![](https://parvatjan.comwp-content/uploads/2017/10/IMG-20171013-WA0031-300x225.jpg)
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कहीं ऐसा तो नहीं कि इस अनिच्छा के पीछे अरविंद पांडे उप मुख्यमंत्री बनाए जाने के लिए दावेदारी कर रहे हों! गौरतलब है कि मैदानी क्षेत्र के ही तेज तर्रार विधायक तथा कैबिनेट मिनिस्टर मदन कौशिक सरकार के प्रवक्ता के नाते खासी अहमियत वाली भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में पूरे कुमाऊं की उपेक्षा का राग अलाप कर तराई के मैदानी क्षेत्र से अरविंद पांडे संभवतः उप मुख्यमंत्री पद के लिए ध्यान खींचना चाह रहे हैं।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने माँ गंगा को प्रणाम करते हुए कहा कि वे उससे अपने लिए कुछ मांगने नहीं आए है, उनकी बस इतनी मांग है कि आपदा के बाद सूबे की जो छवि खराब हुई थी उसे फिर से दुरस्त कर दे।उन्होने कहा कि वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार कतई नहीं हैं।
और न उनकी दिलचस्पी मुख्यमंत्री बदलने मे है, बल्कि उनकी दिली इच्छा है कि अगले 15 वर्षो तक यही मुख्यमंत्री बेरोकटोक काम करते रहें। अपनी गरीबी का हवाला देते हुए मंत्री ने बताया कि वे ऐसे गरीब घर से निकले हैं जहां 5 दिनों मे एक बार भोजन बनता था। उसके बाद भी संघर्ष करते हुए वे 23 वर्ष की उम्र मे पालिका अध्यक्ष बने और आज राजनीति मे इस मुकाम पर हैं। उन्होने कहा कि उन्हे आगे मुख्यमंत्री बनने मे कोई दिलचस्पी नहीं है।
भभ
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गंगा के उद्गम से सबको स्वच्छता का पाठ पढाने के साथ पीआरडी के जवानों को स्थायी करने, संस्कृत के जानकार छात्रों को योग शिक्षक बनाने की भी घोषणा कर गए। उन्होने कहा की 1 से 12 तक सभी कक्षाओ मे एनसीआरटी की किताबें लगाकर गरीबों के लिए सस्ती शिक्षा सुलभ कर दी है। इसके साथ ही मिड डे के दबाव मे प्रभावित हो रही शिक्षा के स्तर तो दुरुस्त करते हुए मिड डे मील योजना मे बदलाव के साथ 15 करोड़ की आधुनिक केन्द्रीय किचन मे 4 घंटे मे डेढ़ लाख बच्चों के भोजन की व्यवस्था शुरू करने का ऐलान किया।
अपने मंत्रालय से जुड़े शिक्षा विभाग मे मिड डे मील के कारण व्यस्तता के चलते प्रभावित हो रही शिक्षण कार्य से उबरने के लिए उन्होने 15 करोड़ की आधुनिक केन्द्रीय किचन को मोडल के रूप मे मैदानी जनपदो मे शुरू किया है, जिसमे 4 घंटे मे डेढ़ लाख छात्रों को सभी विटामिन और मिनरल से भरपूर भोजन खाने को मिलेगा और ये मशीन पूरी तरह से ऑटोमेटिक होगी और कहीं किसी भी स्तर पर इसमे इंसान का हाथ नहीं लगेगा। ताकि उच्च गुणवत्ता का भोजन छात्रों को मिल सके।![](https://parvatjan.comwp-content/uploads/2017/10/IMG-20171013-WA0040-300x227.jpg)
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मंत्री ने कहा कि 1 से 12 तक सभी कक्षाओं मे पूर्व निर्धारित मूल्य की एनसीआरटी की पुस्तकें लगवा दी हैं,जो सीबीएसई की तुलना मे बहुत सस्ती होती है। एक तरफ जहां सीबीएसई की किताबें 500 रु से लेकर 2000 रु तक की हैं, वहीं एनसीआरटी की एक किताब का मूल्य 50 रु से अधिक नहीं है। इससे गरीब बच्चों को सस्ती शिक्षा उपलब्ध हो सकेगी।
मंत्री ने बताया की वे सूबे मे सबसे अधिक दौड़-भाग करने वाले मंत्री हैं और कोरी घोषणा करना उनके स्वभाव मे नहीं है। लिहाजा वे पंचायती राज विभाग मे पदों का सृजन कर पीआरडी मे लंबी सेवा देने वाले जवानों को उसमे समायोजन करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होने मंच से ही अपर सचिव पंचायती राज हरीश चन्द्र सेमवाल को बुलाकर इस योजना पर कार्य शुरू करने के निर्देश दिये।
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योग को अपने देश के साथ विदेश मे भी पहचान दिलाने वाले बाबा राम देव और प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों की सराहना हुए मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि भारत ने विश्व को विश्व योग डे मनाने की अहमियत समझाई है। लिहाजा भारतीय संस्कृति के प्रचार- प्रचार के लिए संस्कृति के जानकारों को योगा शिक्षक बनाया जाएगा ताकि धीरे धीरे उसने योग सीखते हुए दुनिया के लोग अंग्रेजी की स्थान पर संस्कृत बोलने लगें।