भूपेंद्र कुमार
उत्तराखंड में अधिकारीगण जन समस्याओं को लेकर होने वाली बैठकों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
पिछले कुछ समय से ऐसी कई वाकये देखने में आए हैं कि सामने कोई मंत्री, सांसद या जिलाधिकारी बैठक ले रहे हैं और अन्य अधिकारी बैठक में ध्यान न लगा कर मोबाइल में मशगूल हैं।
हाल ही में देहरादून के जिलाधिकारी द्वारा जनसमस्याओं को लेकर लगाए जा रहे जनता दरबार हों अथवा रुद्रपुर मे भगत सिंह कोश्यारी सांसद द्वारा जिला निगरानी समिति की बैठक। यह दो ताजे उदाहरण बताते हैं कि अधिकारी बैठकों को लेकर कितने गैर जिम्मेदार हैं।
देहरादून में डीएम एस ए मुरुगेशन द्वारा आयोजित जनता दरबार में एक तरफ जहां सीडीओ और जिलाधिकारी जन समस्याओं के निवारण में मशगूल थे तो वहीं एक दर्जन से भी अधिक अधिकारी अपने मोबाइल फोन में गेम खेलने अथवा सोशल मीडिया खंगालने में व्यस्त थे।
उधमसिंह नगर में सांसद भगत सिंह कोश्यारी द्वारा ली जा रही जिला निगरानी समिति की बैठक में बाल विकास परियोजना अधिकारी द्वारा मोबाइल पर पोल डांस देखने का वीडियो वायरल हुआ तो उच्चाधिकारियों ने उन्हें नोटिस देकर कारण पूछ लिया। उक्त पीसीएस अधिकारी का बैठक को गंभीरता से न लेने पर जवाब तलब किया गया है।
देहरादून के जिला अधिकारी के जनता दरबार में जब एक दर्जन अधिकारी सोशल मीडिया में व्यस्त होंगे तो भला जन समस्याओं पर किसका ध्यान रहेगा !
उदाहरण के तौर पर इस संवाददाता ने देहरादून में पिछले एक माह में 40 अलग-अलग समस्याओं से संबंधित प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी को जनता दरबार में सौंपे। लेकिन इन 40 में से सिर्फ एक प्रार्थना पत्र का ही निस्तारण हो सका।
इससे समझा जा सकता है कि जब नियमित फॉलोअप करने वाले एक संवाददाता की शिकायतों के निस्तारण का भी यह हाल है तो आम जनता की फरियादें तो फिजूल ही चली जाती होंगी।
हालांकि अभी तक कार्मिक अथवा विभागीय स्तर पर कहीं भी बैठक के दौरान मोबाइल से खेलने के विषय में अलग से कोई गाइडलाइन तैयार नहीं हुई है, किंतु पिछले काफी समय से फेसबुक , वाट्स एप के बढ़ते चलन और 4G की जिओ क्रांति के साथ ही सस्ते स्मार्टफोन का दौर शुरू हो जाने के बाद बैठक में मोबाइल फोन अधिकारियों के ध्यान भंग करने लगे हैं। इसके लिए उच्च स्तर पर कुछ नियम कायदे बनाए जाने की आवश्यकता भी महसूस की जा रही है।