यूपी चुनाव 2017: पूरब पर चढ़ा पश्चिम का चटख सियासी रंग

गोरखपुर [सद्गुरु शरण] । छठवें चरण के मतदान से दो दिन पहले पूर्वांचल अचानक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ‘सियासी रंग में डूब गया है। गुरुवार के दो प्रसंग गौरतलब हैं। दोपहर 1.30 बजे हाटा कस्बे में भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में सभा चल रही है। सांसद एवं भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता मनोज तिवारी अपना भाषण खत्म करके हेलीकॉप्टर से अगले गंतव्य के लिए रवाना हो रहे हैं। बच्चे हेलीकॉप्टर की धुंध का पीछा कर रहे हैं लेकिन सभास्थल पर वयस्क और बुजुर्ग डटे हैं। दरअसल, अभी मुजफ्फरनगर के विधायक संगीत सोम का संबोधन बाकी है। मंच संचालक भूमिका बांध रहे हैं… जब पश्चिम में हिंदुत्व पर संकट आया तो सोम जी तलवार लेकर सड़क पर उतरे थे। हमारी बहन-बेटियों की आबरू तथा गाय-गंगा का अस्तित्व बचाने के लिए वह आज हमारे बीच आए हैं। उनकी बात ध्यान से सुनिए।

अपरान्ह करीब 3.30 बजे कसया कस्बे में सपा-कांग्रेस गठबंधन उम्मीदवार के पक्ष में जनसभा चल रही है। मुख्य मार्ग के किनारे छोटा सा पंडाल लगाकर कुर्सियां बिछाई गई हैं जिन पर बैठे लोगों में अधिसंख्य मुस्लिम नागरिक नजर आ रहे हैं। मंच पर एक सपा नेता बता रहे हैं कि भाजपा के लोग समाजवादी पार्टी को अब ‘नमाजवादी पार्टी कहने लगे हैं। वह जताना चाहते हैं कि सपा को अपने ‘मुस्लिम प्रेम के लिए क्या-क्या सहना पड़ रहा है। कुछ हफ्ते पहले पिछड़ापन, गरीबी, अशिक्षा, बीमारी और ऐसे ही कई दूसरे मुद्दों पर बहस के साथ शुरू हुआ चुनाव प्रचार अपने अंतिम दौर में गाय, गंगा और नमाजवादी पार्टी जैसे भावनात्मक जुमलों पर केंद्रित हो चुका है।

सात जिलों की जिन 49 सीटों पर चार मार्च को मतदान होना है, गुरुवार वहां प्रचार का अंतिम दिन है। हर पार्टी अपने ‘असली रंग और ‘वास्तविक एजेंडे में नजर आ रही है। युद्ध में सब जायज के सिद्धांत पर राजनीतिक दल कोई कसर नहीं छोडऩा चाहते। निर्णायक क्षणों में भाजपा ने खासतौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ‘मुजफ्फरनगर वाली ब्रिगेड मैदान में उतार दी है। कहीं संगीत सोम, कहीं श्रीकांत शर्मा तो कहीं अशोक कटारिया। भाजपा की सभाओं में मोदी, आदित्यनाथ और वंदे मातरम् के नारों की गूंज है। शायद यह तरकश का खास तीर है जिसे अंतिम दिन के लिए सहेजा गया था।

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