• Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • वेल्थ
  • हेल्थ
  • मौसम
  • ऑटो
  • टेक
  • मेक मनी
  • संपर्क करें
No Result
View All Result
No Result
View All Result

Home पर्वतजन

विद्रोह की तैयारी में भाजपाई!

in पर्वतजन
0
1
ShareShareShare

Related posts

बड़ी खबर : बद्रीनाथ धाम में होमगार्ड हेल्पडेस्क दिव्यांगजनों व असहाय हेतु साबित हो रहा संजीवनी

June 3, 2023
64

बिग ब्रेकिंग: वन विभाग में IFS के ट्रांसफर। आदेश जारी

June 1, 2023
3

चार नए जिले बनाने की बजाय नौ जिले किए समाप्त

उत्तराखंड  में विद्रोह की राजनीति उत्तराखंड गठन के पहले दिन से ही बदस्तूर जारी है। अपनी सरकारों को हरवाने, अपने प्रत्याशियों को पैदल करने से लेकर अपने दल को क्लीनबोर्ड करने में माहिर रही भाजपा में एक नया विद्रोह तैयार हो रहा है। पहले से ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए पांच लोगों को मंत्री पद देने से भड़का का मूल कार्यकर्ता एक बार फिर निराश है।
इस बार यह विद्रोह भारतीय जनता पार्टी के उस संगठन के खिलाफ है, जिसे कल तक भाजपाई अपनी विचारधारा बताते थे। २३ में से घटाकर १४ बच चुके सांगठनिक जिलों को घटाने के कारण यह विद्रोह तैयार हो रहा है। अमित शाह की इस बात का प्रदेश भाजपा जवाब देने से डर गई कि विषम भोगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए उत्तराखंड में २३ जिले बनाए गए थे, ताकि संगठन स्तर पर भाजपा कहीं कमजोर न पड़े।
यदि अमित शाह को यह गणित समझा दी जाती कि पर्वतीय क्षेत्रों में एक व्यक्ति का एक दिन में दो अलग-अलग बैठकों में सैकड़ों किमी. दूर जाकर पहुंचना नामुमकिन है तो शायद सांगठनिक जिलों को समाप्त करने की नौबत न आती। आखिर में बनाए गए देवप्रयाग जिले का ही उदाहरण यदि अजय भट्ट अमित शाह को समझा देते कि टिहरी के जिलाध्यक्ष के पास पौड़ी लोकसभा की दो विधानसभाएं देवप्रयाग और नरेंद्रनगर होने के कारण टिहरी और पौड़ी लोकसभा सांसदों द्वारा एक दिन में बैठक बुलाने के कारण टिहरी के जिलाध्यक्ष का दोनों स्थानों पर पहुंच पाना नामुमकिन था, इस कारण देवप्रयाग को पृथक जिला बनाया गया। इस बात को कहने की बजाय अजय भट्ट ने आनन-फानन में ९ जिलों को समाप्त करने का एकतरफा फरमान सुना डाला। इन ९ सांगठनिक जिलों में भारतीय जनता पार्टी के तकरीबन ४०० कार्यकर्ता कार्यरत थे, जो इस निर्णय के बाद पैदल हो चुके हैं।
एक ओर ५७ विधायकों के भार के कारण संगठन के लोग सरकार में एडजस्ट नहीं हो पा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अब संगठन को समेटने से संगठन और कमजोर हुआ है।
काशीपुर, रुड़की, पछवादून, कोटद्वार, डीडीहाट, पुरोला, देवप्रयाग, रुद्रपुर, रानीखेत के सांगठनिक जिलों को समाप्त करने के बाद इन जिलों में काम कर रहे भाजपा के कार्यकर्ता अब मोर्चे पर हैं।
निराशा का यह वातावरण लोकसभा चुनाव २०१९ से ठीक पहले भाजपा को कहां लेकर जाता है, यह देखने लायक होगा। बहरहाल, इस बात को लेकर आक्रोश है कि प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए जिलाध्यक्षों की बलि लेकर उनकी दीपावली काली कर दी।

Previous Post

नोटों  के बिस्तर पर सोते पकड़ा गया।जेल रहा। बहाली हुई।अब केस वापसी की तैयारी!

Next Post

फिर पटरी से उतरी स्वास्थ्य व्यवस्था

Next Post

फिर पटरी से उतरी स्वास्थ्य व्यवस्था

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Recent News

    • बड़ी खबर : तहसीलदार और तीन नायब तहसीलदारों का तबादला, देखें लिस्ट
    • चारधाम यात्रा : 20 लाख से अधिक भक्तों ने किया दर्शन, 40 लाख से अधिक हुए पंजीकरण
    • क्राइम: गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के नाम से मिली व्यापारी को धमकी।पढ़े पूरा मामला

    Category

    • उत्तराखंड
    • पर्वतजन
    • मेक मनी
    • मौसम
    • वेल्थ
    • सरकारी नौकरी
    • हेल्थ
    • Contact
    • Privacy Policy
    • Terms and Conditions

    © Parvatjan All rights reserved. Developed by Ashwani Rajput

    No Result
    View All Result
    • Home
    • उत्तराखंड
    • सरकारी नौकरी
    • वेल्थ
    • हेल्थ
    • मौसम
    • ऑटो
    • टेक
    • मेक मनी
    • संपर्क करें

    © Parvatjan All rights reserved. Developed by Ashwani Rajput

    error: Content is protected !!