एनएच 74 घोटाले की जांच करने के लिए सीबीआई ने अपनी सहमति दे दी है। बुधवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि इस संबंध में औपचारिक नोटिफिकेशन होते ही सीबीआई अपनी जांच प्रारम्भ कर देगी। राज्य सरकार की करप्शन पर जीरो टोलरेंस की नीति है। एनएच 74 घोटाले पर वर्तमान में राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा आवश्यक कार्यवाही की जा रही है। बहुत सी जगहों पर छापेमारी की गई है। अनेक अधिकारियों को निलम्बित किया गया है। घोटाले में संलिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि इस संबंध में अब कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय भारत सरकार की ओर से औपचारिक अधिसूचना जारी होनी शेष है। अधिसूचना जारी होने के बाद सीबीआई विधिवत घोटाले की जांच शुरू कर देगी।
एनएच-७४ घोटाले की जांच सीबीआई ही करेगी। एक बार पहले ही सीबीआई से एनएच-७४ घोटाले की जांच करवाने की बात कहने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को बैकफुट पर आना पड़ा था, जब केंद्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राजमार्ग अफसरों को हतोत्साहित होने का तर्क देते हुए सीबीआई जांच न कराने के निर्देश मुख्यमंत्री को दिए थे। सोशल मीडिया से लेकर आम जनता में इस बात को लेकर काफी हो-हल्ला होने पर त्रिवेंद्र रावत काफी झुंझला गए थे। यहां तक कि हल्द्वानी दौरे के दौरान पत्रकारों द्वारा इस मुद्दे को उठाने पर सीएम उल्टा पत्रकारों पर ही बरस पड़े थे। सीएम को लगता है कि राज्य में इस मुद्दे पर सीबीआई जांच न होने से पार्टी को आगामी लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि एनएच घोटाले की परतें दिन-प्रतिदिन खुलती जा रही हैं और हाल में ही गिरफ्तार किए गए पेशकार विकास कुमार ने जब से यह कबूल किया है कि घोटाले की १९ फाइलें वह धामपुर फार्म में जला चुका है, तब से एसएसपी ऊधमसिंहनगर सदानंद दाते ने जसपुर, बाजपुर और काशीपुर तहसीलों को सघन जांच का हिस्सा बना लिया है। यह मामला दिन-प्रतिदिन सियासत के लिए गले की हड्डी बनता जा रहा है।
शासन के सूत्रों के अनुसार अब इस जांच से राजमार्ग के अफसरों का नाम हटाने की तरकीब निकाली जा रही है। नाम न छापने की शर्त पर शासन से जुड़े एक आला अधिकारी ने तर्क दिया कि भूमि अधिग्रहण का कार्य राज्य सरकार का है और राज्य सरकार को ही सरकारी और निजी भूमि अधिग्रहीत कर राजमार्ग विभाग को सौंपनी होती है। इसमें अधिग्रहण से लेकर मुआवजा भुगतान तक की सभी कार्यवाहियां राज्य सरकार ही करती है। इसमें राजमार्ग मंत्रालय के अफसरों की कोई भूमिका नहीं होती है।
राजमार्ग से जुड़े अफसरों की भूमिका चाहे जो भी रही हो, किंतु यह बात साफ है कि एनएच-७४ घोटाले के संबंध में सरकार के मंत्री तथा प्रवक्ता भाजपा का पक्ष रखने में बुरी तरह नाकाम रहे हैं। यही कारण है कि एनएच-७४ घोटाले से सीधी जुड़ी कांग्रेस पार्टी उल्टा भाजपा पर आक्रामक तेवरों के साथ हावी है।



