सरकार को सर्वोच्च न्यायालय ने जारी किया नोटिस
कपिल सिब्बल ने की उमेश कुमार की पैरवी
देहरादून। रायपुर थाने में 2007 में दर्ज हुये एक धोखाधडी के मामले में पुलिस बार-बार उमेश की गिरफ्तारी का वारंट लेने के लिए आगे खडी हुई दिखाई दी और उच्च न्यायालय नैनीताल में जब यह मामला पहुंचा तो न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी लेकिन एक स्टिंग को लेकर जिस तरह से सरकार ने उमेश कुमार पर शिकंजा कसना शुरू किया उसको लेकर उमेश पर दर्ज चंद पुराने मामलों को खंगालने के लिए पुलिस ने अपना सर्च ऑपरेशन शुरू किया और इसी के चलते रायपुर थाने में दर्ज हुये धोखाधडी के मामले में उमेश को उच्च न्यायालय से गिरफ्तारी पर मिले स्टे को सरकार ने खारिज कराया और उसके बाद उमेश पर एक बार फिर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी तो उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसकी आज सुनवाई हुई तो सर्वोच्च न्यायालय ने इस पूरे मामले के ट्रायल पर स्टे करते हुए उत्तराखण्ड सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उत्तराखण्ड सरकार को एक बार फिर बडा झटका लगा है।
समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश कुमार ने अपने ऊपर देहरादून के रायपुर थाने में दर्ज मनोरंजनी देवी के मुकदमें में उच्च न्यायालय द्वारा उनकी जमानत याचिका पर लगाई गई रोक को खारिज किये जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। आज सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नम्बर 7 में 40वें नम्बर पर मनोरंजनी देवी के मुकदमें की सुनवाई डबल बैंच में हुई। न्यायाधीश इंदिरा बैनर्जी व आर भानुमति की डबल बैंच में मामले की सुनवाई हुई।
कपिल सिब्बल ने पैरवी की
उमेश की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की और सारे मामले से डबल बैंच को अवगत कराया गया। कपिल सिब्बल की ओर से की गई पैरवी पर डबल बैंच ने लोअर कोर्ट में मुकदमें को लेकर चल रहे ट्रायल पर रोक लगा दी है और इसके साथ सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखण्ड सरकार को नोटिस भी जारी किया है। मनोरंजनी देवी के मुकदमें में पुलिस बार-बार लोअर कोर्ट से उमेश कुमार का वारंट लेने की मुहिम में लगी हुई थी। यही कारण था कि राजधानी पुलिस ने उच्च न्यायालय में उमेश कुमार की जमानत याचिका पर लगी रोक को खारिज कराकर उन पर शिकंजा कसने का खाका तैयार कर रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने उमेश कुमार की ओर से दाखिल की गई याचिका की सुनवाई करते हुए जिस तरह से इस पूरे मामले के ट्रायल पर रोक लगा दी है वह उत्तराखण्ड सरकार के लिए एक बडा झटका ही माना जा रहा है।
गौरतलब है कि समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश कुमार पर स्टिंग किये जाने को लेकर सरकार ने उनकी घेराबंदी कर रखी थी और यही कारण था कि समाचार प्लस चैनल में काम करने वाले आयुष गौड ने राजपुर थाने में उमेश कुमार के खिलाफ सरकार के खिलाफ साजिश रचने का मामला दर्ज कराकर उन्हें उनके गाजियाबाद स्थित आवास से गिरफ्तार करवाने का सारा तानाबाना भी बुना था। इस मामले को लेकर बहस छिडी कि जिस पर कथित स्टिंग करवाने का आरोप था उसे तो सरकार ने सलाखों के पीछे पहुंचा दिया था लेकिन जिसने स्टिंग किया वह कैसे सरकार की आंखों का दुलारा बन गया? गजब बात तो यह रही कि आयुष गौड ने मीडिया के सामने दावा किया था कि वह किसी का टूल नहीं है लेकिन जिस तरह से उसकी फोटो सरकार के हाकिम व उनके एक करीबी के साथ सामने आई उससे आयुष गौड पर सवालिया निशान भी लगे? इतना ही नहीं एक फोटो तो आयुष की मुख्यमंत्री आवास के आंगन में खिंची हुई भी सामने आ चुकी है वह काफी हैरान करने वाली बात है? उमेश के खिलाफ उत्तराखण्ड व रांची में राजद्रोह जैसे मुकदमें दर्ज हुए लेकिन न्यायालयों से उन्हंे जमानत मिल गई। हालांकि सरकार ने उमेश पर रायपुर थाने में 2007 में दर्ज हुये मनोरंजनी देवी के मुकदमें को पुलिस से खंगलवाया और उच्च न्यायालय से उमेश की जमानत पर लगी रोक को खत्म करा दिया था लेकिन आज इस मामले की सुनवाई जब सुप्रीम कोर्ट में हुई तो उमेश कुमार को सर्वोच्च न्यायालय ने बडी राहत देते हुए लोअर कोर्ट में चल रही मामले के ट्रायल पर रोक लगाते हुए उत्तराखण्ड सरकार को नोटिस जारी कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सरकार को बडा झटका लगा है।सरकार साजिश कर उमेश को फंसा रही
सुप्रीम कोर्ट की डबल बैच में उमेश कुमार की ओर से मनोरंजनी देवी मामले में पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि 2007 में साक्ष्य न मिलने के कारण मनोरंजनी देवी मामले में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी।
कपिल सिब्बल ने न्यायालय को बताया कि एक स्टिंग के मामले में उत्तराखण्ड सरकार साजिश रचकर एक पत्रकार को फसाने में लगी हुई है। उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के साथ उमेश कुमार के विवाद के चलते 2009 में केस को रिओपन करके आरोपियों के बयान पर ही बिना कोर्ट की अनुमति लिये उमेश कुमार को आरोपी बना दिया था। 2014 में उत्तराखण्ड सरकार ने सेक्शन 321 के तहत अधिसूचना जारी की थी और सरकारी वकील द्वारा कोर्ट में वाद वापसी की याचिका दायर की गई थी।
नवम्बर 2018 में उमेश कुमार बनाम मुख्यमंत्री विवाद के बाद इस मामले में उत्तराखण्ड सरकार ने उत्तराखण्ड हाईकोर्ट से उमेश कुमार की गिरफ्तारी पर लगे स्टे को वकेट करा दिया था। उन्होने बताया कि कोर्ट से उमेश कुमार की गिरफ्तारी का वारंट लिया गया था। कोर्ट ने पूरे मामले को सुनते हुए इसके ट्रायल पर रोक लगा दी और उत्तराखण्ड सरकार को नोटिस जारी कर दिया।