कमल जगाती, नैनीताल
सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के हरिद्वार में स्वामी जी.डी.अग्रवाल ‘सानंद स्वामी’ के पार्थिव शरीर को भक्तों के दर्शनों के लिए मातृ सदन में रखने के आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।
मुख्य न्यायाधीश अरुण गोगोई और न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर ने एम्स ऋषिकेश द्वारा दाखिल याचिका को सुना।
इस स्पेशल लीव पैटिशन में याचिकाकर्ता एम्स हरिद्वार ने कहा था कि बॉडी को लंबे समय तक रोकने से अंग ट्रांसप्लांट करने लायक नहीं रहेंगे। इससे किसी भी बीमार व्यक्ति के अंग को ट्रांसप्लांट करना मुश्किल हो जाएगा। एम्स ऋषिकेश बनाम डा.विजय वर्मा के मामले में आज सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शिरीष कुमार मिश्रा ने न्यायालय से कहा है कि एक फॉर्मल स्पेशल लीव पेटिशन सात दिन के भीतर सर्वोच्च न्यायालय में दायर की जाएगी।
न्यायालय ने कहा है कि अगर 26 अक्टूबर का उच्च न्यायालय का आदेश अमल में आता है तो इससे शरीर के अंग दूसरे मनुष्यों के शरीर मे ट्रांसप्लांट करने से पहले ही खराब हो जाएंगे। न्यायालय ने अगली सुनवाई तक उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमे उच्च न्यायालय ने स्वामी के पार्थिव शरीर को 76 घंटे तक मात्र सदन में भक्तों के दर्शनों के लिए रखने को कहा था। स्वामी सानंद की मृत्यु गंगा को बचाने के लिए आमरण अनशन के दौरान पिछले दिनों हो गई थी।