राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सुभारती मेडिकल कॉलेज का कब्जा ले तो लिया पर सरकार के सामने अब भी स्थिति तो वही होगी जो सुभारती के साथ थी। असल मे इस मेडिकल कॉलेज की समस्त संपत्ति जिस पर भवन, अस्पताल, कॉलेज भवन बना है वो सब मनीष वर्मा का है और उनके द्वारा इलाहाबाद बैंक नेहरू कॉलोनी व नैनीताल बैंक में गिरवी रख लोन लिया हुआ है और समस्त सम्पति बैंकों में बंधक है। तथा साथ ही श्री वर्मा के सुभारती के साथ चल रहे विवाद न्यायालय में लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि वो 4 सप्ताह में सम्पूर्ण टीचर व इंफ्रास्ट्रक्चर पूर्ण कर एम सी आई को आवेदन करे और निरीक्षण करवाये। तत्पश्चात एच एन बी मेडिकल विश्विद्यालय से निरीक्षण करवाकर मान्यता ले पर अब बड़ा सवाल यह उठता है कि जब सरकार एम सी आई को आवेदन करेगी तो एम सी आई को व एच एन बी को फॉर्म 5 भर कर देना होगा, जिसमे भवन भूमि के अविवादित होने का शपथ पत्र देना होगा। जबकि समस्त भूमि सुभारती के साथ विवादित व 3 भागों में है व विभिन्न न्यायालयों में वाद लंबित है और इसी तथ्य के चलते एमसीआई व एचएनबी ने आज तक सुभारती को अनुमति नही दी। लिहाजा अब सरकार को भूमि भवन के असली मालिक श्री मनीष वर्मा के सहारे की जरूरत होगी। पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमन्त्री व वरिष्ठ भाजपा नेता मनीष वर्मा ने कहा कि हरीश रावत सरकार की उच्च शिक्षा मंत्री रहते कैबिनेट में इंदिरा हृदयेश ने उस दिन रास बिहारी बोस सुभारती विश्वविद्यालय पारित किया, जिस दिन कोर्ट का स्टे पूरी सम्पत्ति पर लगा था और हद तो तब हो गयी जब हरीश रावत सरकार के अंतिम विधान सभा सत्र में जो कि गैरसैण में आहूत हुआ था, उस दिन रास बिहारी बोस निजी विश्वविद्यालय विधेयक पारित किया गया उस दिन भी सम्पति पर कोर्ट का स्टे लगा हुआ था।
उधर श्री मनीष वर्मा से बात करने पर श्री वर्मा ने कहा कि वो पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हैं व सरकार द्वारा बातचीत का न्यौता दिए जाने पर चर्चा हेतु न्यायोचित राह निकालने व सहयोग हेतु तैयार है।