भूपेंद्र कुमार
उत्तराखंड के तेज तर्रार राज्य सूचना आयुक्त सुरेंद्र सिंह रावत का आज कार्यकाल पूरा होने के बाद उत्तराखंड राज्य सूचना आयोग में सुनवाई होनी बंद हो गई है। आयोग में अब मात्र मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ही बचे हैं।
हाईकोर्ट के एक निर्णय के अनुसार अकेले सूचना आयुक्त के कारण कोरम पूरा नहीं माना जाता, इसलिए आयोग में सुनवाई नहीं हो सकती। आयोग को सुनवाई करने के लिए कम से कम दो सूचना आयुक्त होने जरूरी हैं। आरटीआई एक्ट में भी यही व्यवस्था दी गई है।
1 जनवरी वर्ष 2010 में एमडीडीए बनाम मुख्य सूचना आयुक्त की अपील पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट तत्कालीन जज बीके बिष्ट ने आदेश जारी किया था कि यदि राज्य सूचना आयोग में एकमात्र सूचना आयुक्त हैं तो वह सुनवाई नहीं कर सकते।
गौरतलब है कि वर्ष 2006 में भी एक बार यही स्थिति आई थी।
राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने पर्वतजन से बातचीत में बताया कि उनके संज्ञान में भी हाई कोर्ट का यह निर्णय है, इसलिए उन्होंने अगला सूचना आयुक्त नियुक्त होने तक सभी सुनवाइयां पोस्टपोन कर दी हैं। शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि उन्होंने शासन को शीघ्र कम से कम एक सूचना आयुक्त नियुक्त करने के लिए पत्र लिखा है, ताकि अपीलार्थीयों को न्याय मिलने में कोई देरी न हो।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में 28 मई को मुख्यमंत्री आवास पर दो राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बैठक बुलाई गई थी। किंतु नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर इंदिरा हृदयेश ने राज्य सूचना आयुक्तों के चयन को स्थगित करा दिया कि यह चयन मेरिट के आधार पर होना चाहिए न कि चहेतों को मनमानी के आधार पर।
राज्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री, प्रदेश के एक मंत्री और नेता प्रतिपक्ष की कमेटी में सभी का एक मत होना जरूरी होता है।
राज्य सरकार द्वारा मनमानी से अपने चहेतों को थोपे जाने के चलते इंदिरा हृदयेश ने इस पर सवाल उठा दिए और यह बैठक बेनतीजा रही।
हाल यह है कि जहां कुछ समय पहले तक राज्य में पांच सूचना आयुक्त काम कर रहे थे, अब चार सूचना आयुक्तों का कार्यकाल पूरा होने के बाद मात्र एक मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न ही कार्यरत हैं और लगभग तीन हजार के करीब अपने-अपने निस्तारण हेतु राह ताक रही हैं
लंबी-लंबी तारीखों के कारण आवेदकों को न्याय मिलने में देरी हो रही है।
प्रत्येक दिन अपीलों के ढेर में इजाफा होता जा रहा है। लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कोई तिथि तक फाइनल नहीं की है। ऐसे में कब तक राज्य सूचना आयुक्त का इंतजार करना पड़ेगा कुछ कहा नहीं जा सकता !