विनोद कोठियाल, देहरादून
आज राजपुर रोड पर समर गेस्ट हाउस में कालजयी पत्रकार कुंवर प्रसून की 12 वीं पुण्यतिथि पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। कई वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये। मुख्य अतिथि के रूप में केदारनाथ विधायक मनोज रावत गोष्ठी में सम्मिलित हुये।
बच्ची राम कौंसवाल ने कहा कि कुवर प्रसून के विचारों के बारे में विश्वविद्यालय में कार्य होना चाहिए। योगम्बर वर्थवाल ने कहा कि प्रसून पत्रकारिता के पुरोधा थे।संजय कोठियाल (सम्पादक युववाणी) ने कहा कि प्रसून जी ने दलितों का मुद्दा और बन्धुवा मजदूरों पर सबसे ज्यादा काम किया। उनकी पहचान का आलम यह था कि लोग उन्हें दलित समझते थे। कुंवर प्रसून और प्रताप शिखर ने अस्सी के दशक में अपने नाम के आगे से जाति हटा दी थी। उस प्रकार के विचारशील लोगों का मिलना बहुत मुश्किल है। वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत कह कि प्रसून जी पत्रकार ही नहीं कहानीकार और साहित्यकार भी थे। समाज सेवी कुसुम रावत ने कहा कि “मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला तो मैने देखा कि वह एक बड़े पत्रकार के साथ ही कृषि के क्षेत्र में भी बहुत अच्छा काम किया। बीज बचाओ आन्दोलन मे विजय जड़धारी के साथ कुंवर प्रसून का अविस्मरणीय योगदान है।
एवरेस्ट विजेता हृर्षवन्ती बिष्ट ने कहा कि प्रसून जी एक ऐसे व्यक्ति थे कि अर्थशास्त्र के विशेषज्ञों के लिये एक चुनौति छोड़ दी कि पहाड़ के विषय में सोचने के लिये मजबूर कर दिया। पर्वतजन के सम्पादक शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि पर्वतजन पत्रिका कुंवर प्रसून के धार की पत्रकारिता है। “हम जो भी करते हैं वह मात्र दस प्रतिशत की पत्रकारिता कर पा रहे हैं परन्तु प्रसून जी जैसी पत्रकारिता के लिए अभी नब्बे प्रतिशत काम और करना पड़ेगा।” मुख्य अतिथि केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने कहा कि इस समय मे किसी व्यक्ति का प्रसून होना काफी महत्वपूर्ण है। प्रसून जी ने तीन सौ प्रजातियों के धान और एक सौ तीस प्रजातियों के गेहूं के बीजों को संकलित करना अपने आप में एक जमीनी कार्य दर्शाता है। प्रसून जैसे पत्रकारिता रूपी बीजों को बचाने की जरूरत है, नहीं तो आने वाले समय मे नयी पीढ़ी यह नहीं जान पायेगी कि स्वतंत्र लेखनी क्या होती है!
कार्यक्रम के अध्यक्ष चन्द्र सिह भूतपूर्व आई ए एस ने कहा कि मैने राज्य मानवाधिकार आयोग में शिकायत की है जिसमें मैने कुंवर प्रसून के साहित्य को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है। कुंवर प्रसून पर जो भी साहित्य और रचनायें छपी है उसकी किताब छपनी चाहिए। क्योंकि टिहरी गढ़वाल मे श्री देव सुमन के बाद प्रसून ही सबसे बडी शख्सीयत थे। कार्यक्रम का आयोजन तथा संचालन वरिष्ठ पत्रकार तथा सोशल एक्टिविस्ट शीशपाल गुसाईं द्वारा किया गया