भूपेंद्र कुमार
नैनबाग क्षेत्र के जितेंद्र दास मौत मामले में विधायक खजानदास पीडि़त परिवार के प्रति संवेदना जताने के बजाय बेतुके बोल, बोल रहे हैं। उनके इस बयान से हत्याकांड की जांच पर फर्क पडऩे की संभावना भी जताई जा रही है।
जितेंद्र(21)पुत्र स्व. सेवक दास ग्राम बसाण गांव, पट्टी इडयालस्यूं, जौनपुर टिहरी गढ़वाल अपने रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए 26 अप्रैल 2019 को कोट गांव गया था। जहां कुर्सी पर बैठकर खाना खाने के कारण सवर्ण जाति के लोगों ने उसकी पिटाई कर दी थी। पांच मई को उसने देहरादून के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था। सवर्ण लोगों के खिलाफ मृतक की बहिन ने एफआईआर दर्ज करवाई है। ऐसे में पीडि़त परिवार को जान का खतरा होने का डर सता रहा है। इस मामले में अभी तक पांच लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जबकि अभी भी दो बाहर हैं।
पीडि़त परिवार के पड़ोसी गांव के रहने वाले राजपुर रोड से विधायक खजानदास ने मंगलवार को पीडि़त परिवार का हाल जानने के बाद लौटते समय कहा कि जौनपुर में छुआछूत जैसी कोई बात नहीं है। पूरे जौनपुर क्षेत्र के अंतर्गत सवर्ण और दलित जाति के लोगों द्वारा कार्यक्रमों में एक साथ भोजन करने की परंपरा है। खजानदास ने कहा कि उनके पुत्र की 1996 में शादी हुई थी, उस समय भी सभी लोग शादी में शामिल हुए थे। उन्होंने इस घटना को कलंक बताते हुए कहा कि इसकी जितनी निंदा की जाए, उतनी ही कम है। जाहिर है कि खजानदास ने ऐसा बयान दे दिया, जो पीडि़त परिवार के जख्म पर नमक छिड़कने जैसा है।
सवाल यह है कि अनुसूचित जाति से होने के बावजूद विधायक खजानदास का यह बयान किसके पक्ष में जा रहा है। क्षेत्रवासियों में उनके बयान को लेकर काफी आक्रोश है और इसे हत्यारों का समर्थन करता हुआ बताया जा रहा है।
जितेंद्र की पिटाई करने वालों में गजेंद्र सिंह पुत्र प्रेम सिंह, सोबत सिंह पुत्र धूम सिंह, कुशल, गब्बर, गंभीर, हरविर सिंह, हुकुम सिंह आदि शामिल थे। इन पर धारा 323, 147, 504, 506 और एससी/एसटी एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है। इस पर ह्यूमन राइट्स डिफेंस इंटरनेशनल के महासचिव राजेश गोगना ने 308 एवं 302 में मामला दर्ज नहीं किए जाने पर आश्चर्य जताया है।
उधर दिल्ली में 6 मई को तरुण विजय के नेतृतव में तीन सदस्यीय मानवाधिकार प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मुलाकात की और वरिष्ठ सदस्य ज्योतिका कालरा को टिहरी के दलित युवक जितेंद्र दास की पिटाई से हुई मौत और हत्या मामले की निष्पक्ष जांच का अनुरोध किया। प्रतिनिधिमंडल में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं ह्यूमन राइट्स डिफेंस इंटरनेशनल के महासचिव राजेश गोगना एवं गढ़वाल के सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद मैखुरी शामिल थे।
आयोग ने उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया है कि पीडि़त परिवार को सुरक्षा और सभी संवैधानिक सुविधाएं शीघ्र मुहैया कराई जाएं। इसके अलावा पीडि़त परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए देहरादून में सुरक्षित रहने की व्यवस्था करना होगा। साथ ही उचित धाराओं में मामला दर्ज करने की अपेक्षा भी की गई है।