कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखंड उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ ने पन्तनगर विश्वविद्यालय में सहायक लेखाकार के 93 पदों में हुई नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली की शिकायत पर राज्य सरकार द्वारा इस भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। साथ ही न्यायालय ने फैसले को सही ठहराते हुए एकलपीठ के आदेश को खारिज कर दिया है। खण्डपीठ ने इन पदों पर नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करने व भर्ती परीक्षा राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से कराने को भी कहा है। साथ ही उन अभ्यर्थियों से आवेदन शुल्क न लेने को कहा है। खण्डपीठ ने साथ ही जिन अभ्यर्थियों ने पूर्व में आवेदन किया था उन अभ्यर्थियों को आयु सीमा में भी छूट देने पर विचार करने को कहा है।
अधिवक्ता कार्तिकेय हरी गुप्ता ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चन्द्र खुल्बे की खंडपीठ में मंगलवार को मोहित कपूर ने स्पेशल अपील दायर कर कहा कि पन्तनगर विश्वविद्यालय में 93 सहायक लेखाकार के पदों के लिए 21 दिसम्बर 2016 को विज्ञप्ति जारी हुई। जिसकी लिखित परीक्षा के बाद मैरिट लिस्ट बनाई गई। याचिकाकर्ता के अनुसार इस मैरिट में विश्वविद्यालय में पहले से आउट सोर्सिंग में कार्यरत एक कर्मचारी को टॉप रैकिंग में दिखाया गया, जिसके नम्बर दूसरे नम्बर की रैंकिंग के अभ्यर्थी से 30 नम्बर अधिक थे। इस शिकायत पर राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में इन आरोपों की पुष्टि की। जिसके बाद सरकार ने इस नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर नए सिरे से आवेदन पत्र मांगने का निर्णय लिया। सरकार के फैसले को चयन सूची की रैंकिंग में शामिल अभ्यर्थी कपिल कुमार ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। 22 नवम्बर 2018 को उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए चयनित अभ्यर्थियों का टाइपिंग टेस्ट कराने के निर्देश दिए थे। एकलपीठ के इस आदेश को मोहित कपूर ने मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ में चुनौती दी। खण्डपीठ ने मंगलवार को एकलपीठ के आदेश को रद्द करते हुए सरकार के फैसले को सही ठहराया है।