कुमार दुष्यंत/हरिद्वार।
उच्च न्यायालय ने पुलिस-प्रशासन को सड़कों पर लावारिस घूमने वाले मानसिक रोगियों एवं विक्षिप्तों के रहन-सहन एवं उनके उचित उपचार की व्यवस्था करने के निर्देश दिये हैं। न्यायालय ने सरकार को भी आदेश दिये हैं कि वह छह माह के भीतर निराश्रित मनोरोगियों की देखरेख के लिए पॉलिसी बनाकर ऐसे लोगों के उपचार एवं देखरेख की व्यवस्था सुनिश्चित करे।
माननीय उच्च न्यायालय ने यह आदेश हरिद्वार निवासी समाजसेवी एवं चिकित्सक डा. विजय वर्मा द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में रुद्रपुर के एक घर में चैन से बांधकर बंदी बनाकर रखे गये मानसिक विकलांग भाई-बहन चांदनी व पकंज की स्थिति का भी न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए डीएम को आदेशित किया है कि उन्हें तत्काल मुक्त कराकर मनोरोग चिकित्सालय में भर्ती कराकर उनके समुचित उपचार एवं रहन-सहन की व्यवस्था सुनिश्चित करें।न्यायलय ने यह भी आदेशित किया है कि इन दोनों भाई-बहनों को पचास-पचास हजार सहायता राशि तत्काल दिये जाने के साथ ही इन दोनों के लिए साढे पांच हजार रुपये प्रत्येक को प्रति माह दिये जाएं।न्यायालय ने अपने छप्पन पेज के निर्णय में सरकार को छह माह के अंदर मैंटल हेल्थ केयर एक्ट लागू करने एवं ऐसे रोगियों का सर्वे कराकर रिपोर्ट प्रसतुत करने को कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि देश में मानसिक रोगियों की स्थिति काफी दयनीय है। अपनी देखरेख के अभाव में प्रायं ऐसे रोगियों का परित्याग कर दिया जाता है। फिर वह सड़कों एवं सार्वजनिक स्थानों पर अमानवीय एवं दयनीय स्थितियों में जीवन गुजारते हैं। कुछ लोग त्याग दिये गये ऐसे बच्चों और महिलाओं से भीख मंगवाकर उन्हें आय का जरिया बना लेते हैं। मानसिक रोगियों एवं विक्षिप्तों को घरों में कैद या जंजीरों से बांधकर रखने के समाचार भी जब तब अखबारों की सुर्खियां बनते रहते हैं। न्यायालय का यह आदेश अब नजीर बनेगा, जिससे देशभर में असहाय मानसिक विकलांगों की स्थिति में सुधार होगा।