जगदम्बा कोठारी
स्थायी राजधानी गैरसैण की माँग को लेकर लम्बे समय से आंदोलन रत पहाड़ की जनता अब बेसब्र होती जा रही है।
देर शाम रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली विकास खंड में मयाली बाजार मे सैकड़ों की संख्या में राज्य आन्दोलकारी व छात्र नेताओं नेतृत्व में स्थायी राजधानी गैरसैण के समर्थन में शांतिपूर्वक मशाल जुलूस निकाला गया।आन्दोलनकारियों का नेतृत्व करते हुए राज्य आंदोलनकारी व भूतपूर्व सैनिक हयात सिंह राणा ने कहा कि शासन व प्रशासन को अन्तिम चेतावनी दी जा रही है कि यदि केन्द्र अथवा राज्य सरकार के द्वारा अतिशीघ्र स्थायी राजधानी गैरसैण घोषित नही गयी तो ऋषिकेश से आगे किसी भी विधायक या मंत्री को पहाड़ मे घुसने नही दिया जाएगा।
सामाजिक कार्यकर्ता व पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष राजकीय महाविद्यालय जखोली के अध्यक्ष आशीष नेगी ने शासन व प्रशासन को चेतावनी दी कि छात्रों व युवाओं के द्वारा उग्र आंदोलन किये जाने से पहले सरकार “स्थायी राजधानी घोषित” करें।
95 वर्षीय वयोवृद्ध व राज्य आंदोलन कारी जगतराम सेमवाल ने शासन को एक स्वर मे चेताया कि यह शांतिपूर्ण आंदोलन है, सरकार या उनके प्रतिनिधि आन्दोलनकारियों से वार्ता करें।
इस मौके पर पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष आशीष नेगी, पवन काला, प्रेम प्रकाश कोठारी, दीपक काला, सुरेनद्र सकलानी, डा० गोपाल काला समेत सैकड़ों की संख्या में आन्दोलनकारी उपस्थित थे।
इससे पहले दिन अगस्त्यमुनि में भी व्यापारियों, छात्रों और विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने अगस्त्यमुनि कोतवाली से विजयनगर तक जनगीत के साथ मशाल जुलूस निकाला। बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने विरोध प्रकट करते हुए कहा कि पिछले 17 सालों से सरकारें स्थाई राजधानी तय नहीं कर पाई हैं। यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। कर्ज के बोझ के तले दबे एक छोटे से प्रदेश में दो-दो राजधानी ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन बनाने की बातें कही जा रही हैं। जिसका विरोध किया जाएगा। गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने के बाद ही आंदोलन को समाप्त किया जाएगा।
वक्ताओं ने यह भी कहा कि गैरसैंण स्थाई राजधानी बनने से पहाड़ में विकास का विकेन्द्रीकरण होगा। गांव से हो रहे पलायन पर अंकुश लगने के साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के रास्ते खुलेंगे। व्यापारियों ने कहा कि पहाड़ खाली होने से उनका व्यवसाय भी प्रभावित हो रहा है। इसी तरह गांव के गांव खाली होते रहे तो एक दिन उनका व्यवसाय पूरी तरह चरमरा जाएगा। इस मौके पर सैकड़ों संख्या में आंदोलनकारी मौजूद थे।