पालिका उत्तरकाशी की 5 सालों की जन्म पत्री।
गिरीश गैरोला
नगर पालिका परिषद, बाड़ाहाट उत्तरकाशी के 5 वर्षों के कार्यकाल में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अमरीकन पुरी ने आरटीआई के जरिये सूचना मांगी। 5 महीने बाद पालिका द्वारा जो जबाब दिया गया उसको लेकर पूरी ने कुछ सवाल पालिका प्रशासन पर तो कुछ पालिका में अध्यक्ष पद के दावेदारों पर खड़े किए हैं।
गौरतलब है कि पालिका में धन की बंदरबांट को लेकर अमरीकन पूरी द्वारा जांच की मांग को लेकर 84 दिनों का अनशन भी किया गया था, जिसके बाद जिला प्रशासन ने उच्च स्तरीय जांच का भरोसा देकर भूख हड़ताल तुड़वाई थी। हैरानी की बात ये रही कि पालिका में सिटी बस घोटाला, तेल घोटाला के बाद ,मरम्मत घोटाला तो जग जाहिर हुआ किन्तु इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही हो सकी।
ईओ नगर पालिका कानून की दुहाई देते हुए नोटिस भेजने की बात करते रहे। पालिका बोर्ड की बैठक में हंगामे के बीच चर्चा भी हुई किन्तु एक दूसरे की पोल खुलने के डर से बात चर्चा से आगे नही बढ़ सकी।
5 वर्षो की आय व्यय का ब्योरा तो चौंकाने वाला है। सोसल एक्टिविस्ट अमरिकन पूरी की माने तो इन पांच वर्षो में पालिका की आय 44 करोड़ दिखाई गई जिसमे से वेतन पर 15 करोड़, विभागीय खर्च 6 करोड़, विभागीय वाहन पर खर्च एक करोड़ खर्च किए दिखाए गए हैं।
दिलचस्प बात ये कि 15 करोड़ रु नगर में सौंदर्यीकरण निर्माण, मरम्मत, कूड़ा निस्तारण प्लांट, पार्किंग, दीवार, नाली, सीवर लाइन मरम्मत पर खर्च दिखाए गए है।
सवाल ये है कि करीब 7 करोड़ बचत दिखाए जाने के बाद भी सफाई कर्मियों को कई महीनों से वेतन नही देने के बाद पिछले महीने उन्हें हड़ताल पर उतरना पड़ा था। आखिर बचत धनराशि से उन्हें वेतन क्यों नही दिया गया?
पालिका चुनाव की सुगबुगाहट के बीच नगर के कई लोगों को सड़क से मतदाताओं के बीच नगर की चिंता में चिंतित देख अमरिकन पुरी ने भी सवाल खड़ा किया कि पालिका की उक्त घोटालों को लेकर इन चिंतित लोगों का योगदान क्या रहा है और क्या वे इसी तर्ज पर पालिका को संचालित करने के इच्छुक है? क्या नगर में 15 से 16 करोड़ के काम दिखाई भी देते हैं या महज ये भी खाना पूर्ति ही हुई है?
पालिका पर उठाए गए बड़े सवाल
नगर पालिका परिषद, बाड़ाहाट (उत्तरकाशी) ने पिछले 5 वर्षो में अपनी परिसम्पत्ति व अन्य विभिन्न मदों से 439668899 रु. (लगभग 44 करोड़ रुपये) की आय की है जिसमे से 35881109 रुपये (लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये) पालिका ने पिछले 5 वर्षो में अपनी परिसम्पत्ति से अर्जित किये है ।
पिछले 5 वर्षों में पालिका ने कुल 37,0143808 रु. (लगभग 37 करोड़ रुपये) खर्च किये हैं ।
आय व्यय के गणित के बाद भी पालिका द्वारा 69525091 ₹( लगभग 7 करोड़ रुपये) शुद्ध लाभ के रूप में अर्जित किये गए है ( income – expenditure = profit )
यह समस्त आकड़े महीनों की कड़ी मेहनत के बाद सूचना अधिकार मे प्राप्त हुए हैं।
घण्टों तक फाइलों को पढ़ने के बाद निष्कर्ष का सार आपके समक्ष हो रही वित्तीय अनिमियताओं से आपको जागरूक करने के उद्देश्य से प्रस्तुत है।
समस्या आखिर कहां पर है?
पालिका को अपनी परिसम्पत्ति व अलग-अलग निधियों से प्राप्त आय से पालिका प्रशासन के पूर्ण खर्चे सभी कर्मचारियों की तनख्वाह विभागीय खर्चे व शहर में विकास कार्य जिसमें निर्माण कार्य ,मरम्मत कार्य, साफ़ सफाई, लाइट व्यवस्था,सौन्दर्यकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्य करने होते है ।
जैसा पूर्व में भी लिखित है कि पिछले 5 वर्ष में लगभग 44 करोड़ रुपये की आय पालिका को हुई है।
इसमें से पालिका के अपने विभागीय व्यय निम्न है –
1. वेतन खर्च 14 से 15 करोड़ रुपये।
2. विभागीय खर्चे लगभग 6 करोड़ रुपये।
3.विभागीय वाहनों पर खर्च लगभग 1 करोड़ रुपये
4.बाकी शेष 15 से 16 करोड़ रुपये सौन्दर्यकरण कार्यो में, निर्माण कार्यो में, मरम्मत कार्यो में ,कूड़ा निस्तारण प्लान में, पार्किंग निर्माण में, दीवार नाली , नाले ,सीवर लाइन ,मरम्मतीकरण,नहरो की सफाई, स्वच्छता जैसे अन्य मुख्य कार्यो में खर्च होने बताये गए हैं ।
विचारणीय
इन 5 वर्षों में कहीं भी, कभी भी यह नजर नही आया कि बाड़ाहाट नगर पालिका क्षेत्र के भीतर लगभग 15 करोड़ रुपये खर्च हुए हों ।
प्रश्न यह बनता है, जब 7 करोड़ के लगभग बचत है तो फिर पालिका के अधिकांश कर्मचारियों की महीनों से तनख्वा क्यों रोकी गयी है ? क्यों सफाई कर्मचारियों का महीनों से वेतन रोका गया है ?
क्यों पालिका बचत पैसों से कर्मचारियों की तनख्वाह नही दे पा रही है ? जबकि वेतन पर पालिका का पिछले 5 वर्ष का खर्च लगभग 15 करोड़ रुपये है । प्रश्न यह उठता है आखिर बचत धनराशि कंहा है?विभागीय मदों में जमा है भी या जेब मे चला गया !
अब फैसला आप जनता को करना है क्या आप जागरूक नागरिक बन कर इस तरह के भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए एक कदम समाजहित में आगे बढ़ाएंगे या इसी तरह सब कुछ मूक दर्शक बने सहते रहेंगे ?