उत्तराखंड की युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में जा रही है। स्मैक, चरस, गांजा के अलावा नए-नए किस्म का नशा युवाओं को अपनी लत का शिकार बना रहा है। चंपावत में चरस तस्करी के आरोप में एसटीएफ ने तीन युवकों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से आठ किलो दो सौ ग्राम चरस बरामद की गई है। तीनों आरोपी चरस को दिल्ली ले जा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय गैंग से जुड़े तीनों आरोपी जितेंद्र सिंह और संजय कुमार निवासी चौमेल तथा जितेंद्र पाल निवासी विष्णुपुरी कालोनी टनकपुर को मायावती तिराहे से गिरफ्तार किया गया। उसके पास से तस्करी में इस्तेमाल की जा रही कार को सीज कर दिया गया है। चरस की कीमत पांच लाख बताई जा रही है। तीनों आरोपियों से एसटीएफ की टीम पूछताछ कर रही है। इससे पहले नैनीताल जिले में भी पिछले कुछ महीनों से नशाखोरी की घटनाएं अचानक बढ़ गई है।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसफ और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई की। रामनगर निवासी स्वयंसेवी संस्था ‘वत्सलÓ से जुड़ी श्वेता मासीवाल ने इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।
इसमें कहा है कि प्रदेश में युवा वर्ग लगातार नशे की गिरफ्त में आ रहा है। देहरादून के ३३ फीसदी युवा नशे की चपेट में जनहित याचिका दायर करने वाली संस्था ने एक सर्वे का हवाला देते हुए कहा है कि हल्द्वानी के 21 फीसदी और राजधानी देहरादून के ३३ फीसदी युवा किसी न किसी नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं।
इनमें 14 साल के किशोर से लेकर ३0 साल तक के युवा शामिल हैं। याचिका में कहा गया कि यह प्रवृत्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। याचिका में नैनीताल पुलिस द्वारा नशे के खिलाफ चलाए गए अभियान का भी जिक्र किया गया है। कहा गया है कि इसी तरह के अभियान को अन्य जिलों में भी चलाने के निर्देश जारी किए जाए।
एसओजी के माध्यम से नशे के खिलाफ कार्रवाई शुक्रवार को मुख्यालय भी पहुंच गई है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि इसमें ‘खेल’ कर दिया गया। पिछले दिनों एसओजी ने मल्लीताल के पिछाड़ी बाजार में कोणार्क होटल के नीचे के एक दुकानदार मोहित तिवाड़ी को स्मैक के साथ दबोचा था। इसके साथ नगर कोतवाली की अब तक की अनेक शिकायतों के बावजूद नाक के नीचे, चंद कदमों पर स्मैक का कारोबार होने की पुष्टि हो गई, जबकि नैनीताल पुलिस कई शिकायतों, नगर में स्मैक के एक नशेड़ी द्वारा अपने ही पिता को स्मैक के लिए पैसे न देने पर चाकू मारने जैसी वारदात होने के बावजूद अब तक नशे के इन काले कारोबारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाई थी।
दिलचस्प यह है कि सामान्यतया किसी आरोपी को चोरी की योजना बनाते पकडऩे के लिए उसके हाथ में खुद ही ‘आला नकबÓ, नशीले पदार्थों के साथ पकड़े जाने के लिए खुद ही उसकी जेब में नशे की पुडिय़ा और एन्काउंटर में बेहद पुराना कट्टा थमाने के लिए कुख्यात पुलिस इस मामले में कथित तौर पर इसलिए कार्रवाई नहीं कर पाई कि युवक के पास स्मैक की 14 पुडिय़ा ही मिलीं, जो कि एक ग्राम से कम थी। कुछ पुडिय़ा भी अधिक होतीं तो युवक के विरुद्ध संबंधित धारा में मुकदमा दर्ज हो सकता था, लेकिन कम होने पर उसके खिलाफ महज उत्तराखंड पुलिस अधिनियम के तहत मात्र एक हजार रुपए के चालान की खानापूरी कर उसे छोड़ दिया। बताया गया कि रोहित की अगले माह 18 अप्रैल को शादी होनी है और उसके पास स्मैक खुद के उपयोग के लिए ही थी, इसलिए उसे छोड़ दिया गया।
सवाल यह है कि पुलिस को मोहित के पास निर्धारित सीमा से कुछ कम पुडिय़ा स्मैक ही क्यों मिली? इससे आपसी मिलीभगत साफ महसूस की जा सकती है।
तिवाड़ी ने भी पुलिस के समक्ष खुलासा किया कि नगर में एक प्रतिष्ठित व्यवसायी का पुत्र गदरपुर से लाकर चीना बाबा मंदिर के पास से व एक अन्य स्थानीय युवक हल्द्वानी से लाकर यह काला कारोबार करता है तथा एक पूर्व छात्र नेता भी स्मैक का इस्तेमाल कर पीडि़त व अन्य को इस जानलेवा नशे की गिरफ्त में धकेलने वाला बताया गया है।
सवाल यह है कि एक दिन में ही शेष 86 पुडिय़ा कहां चली गयीं? क्या ये प्रयोग कर ली गई। यदि ऐसा है तो यह और भी अधिक भयावह है कि छोटे से नगर में इस जानलेवा नशे की इतनी अधिक खपत है और यदि नहीं तो तो पुलिस इसे बरामद क्यों नहीं कर पाई?
बताया गया है कि एसओजी द्वारा तिवाड़ी को स्मैक के साथ पकड़े जाने पर पूछताछ में पुलिस ‘रडारÓ पर आए अन्य काले धंधेबाजों के घरों की स्थानीय पुलिस की मदद से तलाशी ली जानी थी, लेकिन इसमें उचित सहयोग नहीं मिला, लिहाजा तलाशी नहीं हो पाई। इसलिए आज की कार्रवाई महज खानापूरी बनकर रह गई।
उल्लेखनीय है कि नगर में चीना बाबा चौराहे में स्मैक की बिक्री होने और मेट्रोपोल पार्किंग क्षेत्र में स्मैकियों का अड्डा होने, स्कूली बच्चों द्वारा भी स्मैक का इस्तेमाल किए जाने की लंबे समय से आम चर्चाएं हैं। स्थानीय लोग कोतवाली पुलिस को कई बार सूचना दे चुके हैं। बावजूद पुलिस ने कभी कोई उल्लेखनीय कार्रवाई नहीं की है।