शैलेंद्र रावत
एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) आपदा पीडब्ल्यूडी में 2014 से सम्पूर्ण उत्तराखंड में कार्यरत लगभग 70 उपनल कर्मियों को 30 नवंबर से बाहर कर दिया गया है।
वर्ष 2013 में आई भीषण आपदा के चलते वर्ष 2014 में सम्पूर्ण उत्तराखंड में एडीबी आपदा पीडब्ल्यूडी नाम से नए डिवीज़न खोले गए थे।
विभाग को सुचारू रूप से चलाने के लिए उपनल से कर्मियों को बड़ी तादाद में कनिष्ठ सहायक और कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर तैनात किया गया। विभाग दौड़ पड़ा। कई राष्ट्रीय अवार्ड भी इस योजना को मिले।
एशियन डेवलपमेंट बैंक का पैसा सड़कों की मरमत के नाम पर खूब बहाया गया। सरकारी कर्मचारी भी इस योजना से बहुत आकर्षित हुए। शायद इसीलिए किसी ने अपना ट्रांसफर भी मूल विभाग (प्रांतीय खंड) में नही करवाया। वे इस योजना को समझ चुके थे।
वर्तमान में उत्तराखंड के विभिन्न सरकारी विभागों में उपनल के माध्यम से कार्यरत लगभग 21 हजार कर्मियों के शोषण का खेल बदस्तूर जारी है।
कभी उन्हें बाहर कर दिया जाता है तो कभी अन्य तरीकों से उनका मानसिक उत्पीड़न किया जाता है।
तनख्वाह भी कट फट कर लगभग 8500 ही मिलती है।
किंतु वर्ष 2018 के आते ही लिए गए लोन की तय सीमा समाप्त हो गयी और उपनल कर्मियों को बाहर कर दिया गया। अपने जीवन के 3 महत्वपूर्ण वर्ष इस विभाग को दे चुके उपनल कर्मी आज दाने-दाने को मोहताज़ हैं। शायद वे फिर किसी आपदा या लोन का इंतज़ार कर रहे हैं।
सरकार ने उत्तराखंड के शिक्षित बेरोजगारों को नियम संगत ढंग से बाकायदा विज्ञापन निकाल कर भर्ती करने के बजाय अपने चंद चहेतों को नियुक्त करने के लालच मे उपनल जैसी संस्था का अधोपतन तो किया ही,साथ ही प्रदेश के युवाओं के साथ भी विश्वासघात किया।
यदि हिमाचल की तरह बाकायदा विज्ञापन निकाल कर संविदा पर भर्ती करके काम लिया जाता तो इनके वेतन का भार भी राज्य सरकार को नही बल्कि केंद्र सरकार को ही वहन करना पड़ता। न सिर्फ वेतन की जिम्मेदारी से राज्य सरकार मुक्त होती हर पांच साल बाद उनके नियमित होने मे भी कोई अड़चन नही आती।