प्रमोद कुमार डोभाल, देहरादून
उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक की मनमानियों के खिलाफ जनता में आक्रोश भड़कने लगा है।
विभिन्न जन संगठनों ने देहरादून के परेड ग्राउंड के पास निदेशक का पुतला बनाकर पहले उसकी शव यात्रा निकाली और फिर उसे नारेबाजी करते हुए आग के हवाले कर दिया।
गौरतलब है कि आपके प्रिय पोर्टल पर्वतजन ने भी इससे पहले निदेशक की मनमानियों को आपके समक्ष रखा था।
सड़क पर आए युवा बेरोजगारों के समर्थन में जब कई जन संगठन भी आए और बाकायदा जुलूस निकालकर पुतला फूंका गया लेकिन मुख्यधारा के अखबार कहे जाने वाले किसी भी प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इस पर एक लाइन लिखना तथा कहना जरूरी नहीं समझा। आखिर क्या कारण है कि 120 दिन से चल रहे इस धरने प्रदर्शन को समर्थन देने के लिए जब आधा दर्जन जन संगठन एकजुट हुए है और जुलूस धरना तथा पुतला दहन किया गया तो एक लाइन की भी खबर नहीं बनी ! जाहिर है कि यही आज की गोदी मीडिया की हकीकत है। यह वही अखबार तथा प्रिंट मीडिया के पत्रकार हैं जिन्हें जब इनका मालिक भी निकाल कर बाहर कर देता है तो फिर इनकी आवाज उठाने वाला भी कोई नहीं होता।
गौरतलब है कि अंतरिक्ष उपयोग केंद्र से निदेशक द्वारा निकाले गए कर्मचारियों के धरने के 120 दिन बाद भी शासन-प्रशासन तथा सरकार सुनने को तैयार नहीं है। निकाले गए आउटसोर्स कर्मचारियों ने अपने साथी देवेंद्र रावत की पत्नी की आत्महत्या के लिए निदेशक एम पी एस बिष्ट को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यदि निदेशक उत्तराखंड शासन के सचिव द्वारा 1 अगस्त को किए गए आदेश का अनुपालन करते हुए कर्मचारियों को सेवा में वापस ले लेते तो आज उनका साथी अपना परिवार न खोता।
उत्तराखंड महिला मंच इस बात पर बेहद आक्रोश जताया कि निदेशक की तानाशाही, अमानवीयता और असंवेदनशील व्यवहार में कमी आने के बजाय लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के राज त्यागी तथा जन विकास मोर्चा के सुरेश नेगी ने इस बात पर भी आक्रोश जताया कि एक ओर निदेशक अपने लिए तो सरकारी खजाने से ₹90000 तक के फोन खरीद रहे हैं वही 10- 12 हजार की आउट सोर्स नौकरी करने वाले उत्तराखंड के युवाओं को सड़क पर ला दिया है।
उत्तराखण्ड़ महिला मंच से निर्मला बिष्ट ने कहा कि एक तरफ सरकार महिलाओं,युवाओं को सशक्त बनाने की बात करती है तथा 2018 को “रोजगार वर्ष” मनाने की बात करती हैं और एक तरफ जो युवा रोजगार में में लगे उनको बेरोजगार कर रही है, उन्हें बेरोजगार कर रही है। ट्रेड यूनियन, से जगदीश कुकरेती राज्य आंदोलकारी ने कहा कि “जब विज्ञान एव प्रौधोगिकी विभाग सचिव ने आदेश कर दिए तो निदेशक किसके बल पर तानाशाही कर रहे हैं! क्या कोई दूसरी घटना घटने का इंतज़ार हो रहा हैं!”
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी से योद्ध राज त्यागी ने कहा,-” सरकार को तुरन्त कार्यवाही करनी चाहिये। जनविकास मोर्चा से सुरेश नेगी ने चेताया कि निदेशक शीघ्र कर्मचारियों की बहाली करें अन्यथा आंदोलन और तेज किया जायेगा और यूसेक में ताला बंदी की जाएगी।
निदेशक का पुतला फूंकने वालों में उत्तराखंड महिला मंच ट्रेड यूनियन उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी तथा जन विकास मोर्चा आदि कई संगठनों के लोग शामिल थे।
इन सभी ने एक सुर में अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक की भर्त्सना की तथा सरकार को भी असंवेदनशील रवैया अपनाने पर जमकर कोसा। इन सभी संगठनों ने परेड ग्राउंड में विगत 120 दिन से धरना दे रहे निष्कासित कर्मचारियों को अपना पूरा समर्थन व्यक्त किया।
धरना स्थल पर समर्थन देने के लिए उपस्थित लोगों में इस बात के प्रति भी काफी आक्रोश था कि निदेशक अपने भ्रष्टाचार तथा मनमानियों को ढकने के लिए सत्ता तक अपनी पहुंच का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और इससे सरकार की छवि भी खराब हो रही है।
जन संघर्ष मोर्चा के प्रदर्शनकारियों का सवाल था कि क्या ऐसे ही धरने पर दिन गुजारने के लिए या उत्तराखंड बनाया गया था !
उत्तराखंड के संगठनों मे इस बात के लिए भी गुस्सा था कि एक ओर उत्तराखंड से बाहर के अफसर अपने रिश्तेदारों के नाम पर रोज कोई ना कोई आउट सोर्स अथवा प्लेसमेंट एजेंसी बनाकर यूपी और बिहार से नए-नए बेरोजगारों को उत्तराखंड में नौकरियां लगा रहे हैं, वहीं उत्तराखंड के मूल निवासी एमपीएस बिष्ट डायरेक्टर बनने के बाद उत्तराखंड के नौनिहालों को नौकरी से निकाल रहे हैं।
प्रदर्शन कारियों मे गीतिका, शकुन्तला गुसांई, दीपक भंडारी, सोहन नेगी, मोहन दास,जयंत शाह, सी एस सी चौहान, शांता देवी,दमयंती चौहान, कुवारी देवी,विजय पाहवा आदि बहुत लोग मौजूद थे।