पिछले 25 सालों से दुर्गम में रह रही विधवा अध्यापिका उत्तरा पंत बहुगुणा और उनके जनता दरबार में हुए हंगामे को आप अभी शायद भूले नहीं होंगे। लीजिए उत्तरा बहुगुणा के सब्र का पैमाना फिर छलक उठा है।
आज उन्होंने सोशल मीडिया मे फिर से मोर्चा खोल दिया है।उन्होंने जो लिखा आप भी पढिए :
“शिक्षा विभाग उत्तरकाशी में दिनांक 17/07/2018 को खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय नौगाँव में मेरी लिखित और मौखिक जाँच होने के बाद, मेरे द्वारा अपना पक्ष रखते हुए पच्चीस छब्बीस पत्र जाँच हेतु दिए गए थे, जो कि नौगाँव कार्यालय द्वारा दो दिन के बाद जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय उत्तरकाशी को भेज दी गई थी। लेकिन छ: माह व्यतीत हो जाने के बाद उस पर कोई कार्रवाई किए बिना ही पहले मुझे डाक द्वारा नोटिस भेजे गए, और अब अखबार के माध्यम से नोटिस दिया जा रहा है, जिसमे अपना पक्ष रखने को कहा गया है, मैं अधिकारियों को अवगत करा दूँ कि मेरे द्वारा अब भी अपना पक्ष उन्ही पत्रों को देकर रखा जाएगा, जो उनके पास माह जुलाई में रखा गया है।
जिनमे मेरे द्वारा निम्न बिन्दुओं पर जाँच करने का आग्रह किया गया है।
1- जब मेरे पूर्व रा. प्रा. विद्यालय में माह अप्रैल मई में छात्र संख्या शून्य थी, तो माह जून में ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान बंद विद्यालय में छात्र संख्या दस से कम कैसे से प्रवेश हो गए। और माह जून में बिना काउंसलिंग के मेरा समायोजन एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक में कैसे किया गया।
2- जब मुझे विद्यालय की जाँच पड़ताल किए बिना ही दूसरे विद्यालय में भेजा गया, तो उक्त विद्यालय में माह जुलाई में जाने के बाद दूसरी अध्यापिका कैसे नियुक्त की गई।
3- बिना छात्र संख्या विहीन उक्त विद्यालय में जब दो साल तक अध्यापिका और शिक्षामित्र को वेतन दिया जाता रहा, तो मेरी LPC उन्नीस माह तक किस आधार पर रोकी गई।
इनके अतिरिक्त मैं 2015 से विभाग द्वारा मेरे साथ होने वाले अन्याय की जाँच करवाने तथा अपनी LPC दिलवाने के संबंध में शिक्षा सचिव से लेकर शिक्षा निदेशक और शिक्षामंत्री को दिए जाने वाले प्रार्थना पत्रों की स्वीकृत की गई प्रति आपको सौंपी गई है। और पहले भी सौंपी गई थी, उच्च अधिकारियों द्वारा आदेश मिलने के बाद भी मुझे न्याय नहीं मिला।
आप मुझे नौकरी से निकालने की धमकी क्या दे रहे हैं। मैं खुद ही ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के अधीन नौकरी नहीं करना चाहती हूँ , जिनके भ्रष्टाचार की चक्की में पीसने के बाद मुझे ईमानदारी और अनुशासन पूर्वक नौकरी करने के बाद भी मुख्यमंत्री द्वारा सांत्वना देने की बजाय अपमानित किया जाता है। जिस सरकार में मेरे साथ-साथ मेरे बच्चों का भी आर्थिक हानि पहुंचा कर मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है, आगे भी होता ही रहेगा। हमारे माता-पिता ने गाँव-गाँव की खाक छानकर इसीलिए बनाया था हमारा भविष्य की हर कोई भ्रष्टाचारी हमें खिलौने की तरह इस्तेमाल करके रुलाता रहे। तुम्हारा एक्ट तुम्हारी नौकरी तुम्हे मुबारक। क्योंकि आपसे ईमानदारी की उम्मीद मैं कर नहीं सकती, और बेईमानी के आगे मैं झुक नहीं सकती।”