इंद्रजीत असवाल
किनाथ ग्राम सभा प्रधान ने उड़ा रखी हैं सरकारी नियमों की धज्जियां
बात जनपद पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड नैनीडांडा विकासखंड के ग्राम सभा किनाथ की है, जहाँ पर ग्राम सभा प्रधान ने सरकारी नियमों की खूब धज्जियां उड़ा रखी हैं।
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यहां ग्राम सभा प्रधान ही ग्राम प्रहरी है। यह प्रधान जी 10 साल से प्रधान हैं, जब ये पहली बार प्रधान बने थे तो इनका नाम जोगी था लेकिन जब दुबारा प्रधान बने तो इनका नाम योगम्बर है।
यही नही ग्राम प्रधान का बीपीएल कार्ड भी है, जिसमे उनका नाम आज भी जोगी है व ग्राम सभा प्रधान को इंदिरा आवास योजना का लाभ दो बार एक ही साल में मिला है। प्रधान अपने ही लोगों को दो-दो बार इंदिरा आवास योजना का लाभ दिला चुके हैं, जबकि ग्राम सभा के ग़रीब परिवारों को एक भी आवास नही मिला।
ग्राम सभा प्रधान अनुसूचित जाति से हैं।
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जब भी किसी ग्रामवासी ने उनके खिलाफ आवाज उठानी चाही तो प्रधान द्वारा उनको धमकी मिली कि sc st एक्ट में फंसा दूंगा, जिस कारण ग्राम वासियों ने कभी प्रधान की शिकायत नही की।
जब पहली बार मीडिया किनाथ ग्राम सभा में पंहुची तो गाँव वासियों ने मीडिया के आगे खुलकर अपनी बात जाहिर की फिर जब मीडिया में ग्राम सभा
प्रधान ने कहा कि गाँव वासी जो शिकायत कर रहे हैं क्या सच है तो ग्राम सभा प्रधान ने कहा कि वो अनुसूचित जाति का है इसलिए सवर्ण लोग उसे फंसा रहे हैं।
अब बात आती है मनरेगा योजना की।
मनरेगा के तहत प्रधान ने अपने खेतों की दीवार व अपने घर के आंगन आदि का काम करवाया है। ग्राम सभा के अन्य जगहों पर कोई काम नहीं करवाया है।
अब बात आती हैं सी सी मार्ग खडंजा मार्ग की तो जो मार्ग ग्राम सभा प्रधान के घर पर जाता है उस पर तो सी सी मार्ग बना है, परन्तु जो गांव के मुख्य मार्ग हैं उन पर खडंजा भी नहीं बिछा है।
अब बात आती है इंदिरा आवास योजना की तो सरकार द्वारा इंदिरा आवास योजना के लिए नक्सा बनाया गया है जबकि ग्राम सभा प्रधान के यहाँ पत्थर की पुरानी छत पर ही इन्द्रा आवास का नाम लिखकर पैसा हजम करवाया गया है।
खुद ग्राम सभा प्रधान ने इंदिरा आवास योजना का लाभ भी लिया और सरकार की तरफ से शौचालय के पैसे भी अलग से लिये गए हैं।
राज्य सरकार के मंत्री अरविंद पांडे ने एक बार कहा था कि ग्राम सभा के विकास कार्यो की sit जांच होगी लेकिन ग्राम सभा प्रधानों ने इसका खुलकर विरोध किया था,वह इसीलिए किया था कि उन्हें पता था कि यदि जांच होगी तो सभी प्रधान लपेटे में आएंगे।
ऐसा नहीं है कि किनाथ ग्राम सभा ही ऐसी होगी, बल्कि पहाड़ की 80% ग्राम सभाओं में बड़े रूप में घोटाले हुए हैं। यदि सरकार जांच करवाती है तो करोड़ों की रिकवरी हो सकती है, जिससे गांव के विकास कार्य फिर से सही करवाये जा सकते हैं।