जनता दरबार में अपने उत्पीड़न के खिलाफ मुख्यमंत्री के सामने अपनी आवाज बुलंद करने वाली उत्तरा पंत बहुगुणा भले ही आजकल अनुशासन के नाम पर विभागीय कार्यवाही का सामना कर रही हो लेकिन कल रात एक बार फिर से वह सोशल मीडिया पर अवतरित हुई और बड़े मार्मिक अंदाज में मुख्यमंत्री तथा शिक्षा मंत्री के नाम एक चिट्ठी जारी कर दी।
इस पोस्ट में उत्तरा ने सूर्य की तरफ उंगली उठाते हुए एक सेल्फी भी पोस्ट की है, मानो वह कह रही हों ऊपर वाले से डरो !
इसमें उत्तरा ने कहा कि उनके साथ जो अन्याय हो रहा है, उसका एक बात का जरूर ध्यान रखना कि ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती और जो भी उसके साथ अन्याय कर रहे हैं, ईश्वर उन्हें इसकी सजा जरूर देगा। आइए देखते हैं उत्तरा पंत बहुगुणा ने अपनी पोस्ट पर क्या लिखा है
मुख्यमंत्री जी/ शिक्षामंत्री जी
उत्तराखंड सरकार
आठ माह से मेरे साथ न्याय न करने वाली बेटी पढ़ाओ, बेटी बढ़ाओ का रोना रोने वाली सरकार, उस ऊपर वाले का ध्यान जरूर रखना। क्योंकि, उसकी लाठी में आवाज नहीं होती। पच्चीस साल से मुझे नागफांस रूपी एक्ट में बांधकर भले ही घर से मीलों दूर वनवास दिया गया हो, लेकिन मैंने सरकार के दुर्व्यवहार का बदला बच्चों की अनदेखी करके और अपने कर्तव्य से विमुख होकर नहीं लिया। क्योंकि, मेरे लिए मेरा कर्म ही मेरा भगवान है।
लेकिन एक्ट और शराब की आड़ में सरकार ने मेरा जो नुकसान किया है, मेरे पति की मृत्यु, मेरे बच्चों के हिस्से का पैतृक घर बेचा जाना, मेरे मान सम्मान का अपमान और अंत में हमारी आर्थिक स्थिति का आधार, मेरी नौकरी को ही निगल जाना, उसका दंड तो किसी न किसी रूप में, कभी न कभी तो अवश्य ही मिलेगा। क्योंकि, सच्च मेरी आत्मा भी जानती है और सरकार की आत्मा भी।
मुझे सालों-साल उस एक्ट के आधार पर घर से मीलों दूर रखा जाना, जिस एक्ट की धज्जियाँ उड़ाकर वो लोग भी देहरादून में विराजमान हैं, जिनकी यहाँ पर कोई संपत्ति नहीं थी, और मेरा वो घर था, जो मेरे ससुर जी ने 1971-72 में बनाया हुआ था,मेरा गलत तरीके से समायोजन किया जाना, उन्नीस महीने तक LPC का न दिया जाना, मुझे निलंबित करवाया जाना, पुलिस हिरासत में दिया जाना और आठ माह व्यतीत हो जाने के बाद भी मेरे और मेरे बच्चों के साथ न्याय न किया जाना, सरकार का षड्यंत्र नहीं है, तो क्या है।
ये तो मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री और शिक्षा विभाग उत्तरकाशी द्वारा मेरे साथ सरासर व्यक्तिगत दुश्मनी सा बर्ताव किया जा रहा है। बड़े-बड़े अपराधी और घोटाला करने वालों को भी ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता है।
मुख्यमंत्री जी/ शिक्षामंत्री जी, यदि आपके द्वारा शासन-प्रशासन मेें इसी प्रकार का दायित्व निभाया जाना है, तो शायद मैं गलत जगह न्याय मिलने की प्रतीक्षा में हूँ।
—-श्रीमती उत्तरा पंत बहुगुणा