नीरज उत्तराखंडी
महज ठेकेदारों तथा विभाग की उदर पूर्ति के लिए बनती पेयजल योजनाएं
जनपद उत्तरकाशी के विकास खण्ड मोरी के ग्राम पंचायत थुनारा में बनी अनेकों पेयजल योजनाएं ग्रामीणों की प्यास तो नहीं बुझा पाई लेकिन निर्माण एजेंसी जल निगम तथा अनुरक्षण तथा रखरखाव विभाग जल संस्थान विभाग केअधिकारियों तथा ठेकेदारों की आर्थिक प्यास जरूर बुझा गई।
बताते चलें कि जल निगम द्वारा वर्ष 1985-86 ढडू बागी पेयजल स्रोत से 5लाख रूपये की लागत से लगभग 5किमी लम्बी डामटी थुनारा पेयजल योजना का निर्माण किया गया । पेयजल योजना बनने के बाद इस लाइन की देखभाल तथा मरम्मत के नाम पर लाखों रूपये खर्च किये जाते रहे हैं वर्ष 2006-7में पंचायत के माध्यम से रखरखाव के नाम पर 10लाख रूपये की विशाल धनराशि खर्च की गई बताई जा रही है।
इतना ही नहीं वर्ष 2003-4में दो अन्य पेयजल योजनाएं नपली छपली से थुनारा तथा नपली छपली से जाखधार पेयजल योजनाएं बनाई गई उसे भी इसी पेयजल योजना में जोड कर लाखों का गोलमाल किया गया । सूत्रों के अनुसार 2003-4 में नपली छपली पेयजल स्रोत से 27लाख रूपये की लागत की नपली – छपली-थुनारा पेयजल योजना तथा 40 लाख रूपये की लागत की नपली छपली-जाखधार पेयजल योजना का आंशिक निर्माण कर पुरानी पेयजल लाइन डामटी थुनारा पेयजल योजना में जोड कर पूर्ण दिखाकर लाखों रूपये का गोलमाल किया गया ।
इतना ही नहीं लघु सिंचाई विभाग द्वारा थुनारा ग्राम पंचायत के किसानों की कृषि भूमि को सिंचित के लिए 60 लाख रूपये की लागत से 5 सिंचाई योजनाएं बनाई जानी है।
राज्य आन्दोलनकारी किशोर सिंह राणा का कहना है कि वे ईशाली- थुनारा सिंचाई योजना में किये गये भारी गोलमाल तथा घालमेल की 6मार्च 2018 को जिला अधिकारी से शिकायत कर जांच की मांग कर चुके है लेकिन आज 10माह बीत जाने के बाद न तो जांच पूरी हुई और न ही दोषियों के विरुद्ध ही कोई कार्रवाई की गई ।
थुनारा गांव में लगभग 40 परिवार रहते है।40 परिवार के लिए लाखों की पेयजल योजनाएं बनाई जा रही है बावजूद इसके गर्मियों में गांव में पेयजल संकट मुंह बाये खडा रहता है और ग्रामीण गाड गदेरो का गंदा पानी पीने को विवश हो जाते है। पेयजल योजनाएं विना फिल्टर सिस्टम लगाए सीधे गाड गदेरो से टेप की गयी है जिससे सारी गंदगी बरसात में नलों के माध्यम से घरों तक पहुंचती है।लाखों की पेयजल योजनाएं जहाँ ठेकेदारों तथा विभाग के लिए कामधेनु बन गई है वही आम जनता के लिए मुसीबत का सबब बन कर रह गई है ।
इस संबंध में जब लघु सिंचाई के अधिशासी अभियंता वृजेश गुप्ता को पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में ग्राम पंचायत थुनारा के लिए एआईवीपी योजना के तहत पेयजल योजनाएं व टेंक स्वीकृत हुए थे जो धन अभाव के कारण लम्बित पडी है ।