कार्मिक विभाग द्वारा उत्तराखंड सरकार के विभिन्न विभागो से कनिष्ठ अभियंताओं की रिक्तियों का अधियाचन 1 मई 2017 को लोक सेवा आयोग में भेजा गया है, लेकिन विभिन्न त्रुटियों के कारण विज्ञापन प्रकाशित नहीं हो पाया, इसके कारण यह भर्ती आयोग और कार्मिक विभाग के आपसी पत्राचार में ही फंस कर रह गई हैं।
यह खबर मुख्य रूप से पर्वतजन पत्रिका में छपने के बाद कार्मिक विभाग ने तेजी दिखाकर एक हफ्ते में संशोधित नवीन अधियाचन 20 अगस्त 2018 को लोक सेवा आयोग भेज दिया था, किंतु पुनः 2 माह बाद आयोग ने इसमें त्रुटि बताकर कनिष्ठ अभियंता का अधियाचन वापस 27नवंबर 2018 को कार्मिक विभाग में भेज दिया है।
कुछ इसी प्रकार पेयजल निगम में 100 कनिष्ठ अभियंताओं की 3 माह के भीतर भर्ती का वादा पेयजल मंत्री प्रकाश पंत द्वारा जनवरी 2018 में किया गया था, लेकिन पूरा साल गुजर जाने पर भी विज्ञापन का अता पता नहीं है।
हर हफ्ते अखबारों में भर्ती की खबर छपती है।
कुछ माह पहले uksssc ने अखबारों के माध्यम से कहा था कि विभिन्न 1800 पदों पर भर्ती की जाएगी लेकिन काफी समय गुजरने के बाद भी कोई भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हुई तो उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने भर्ती प्रक्रिया शुरू करने को लेकर आयोग के बाहर धरना प्रदर्शन किया।
लेकिन चयन आयोग ने सरकार की अनुमति नहीं होने की बात कहकर मना किया तो उत्तराखंड बेरोजगार संघ के सदस्य वहीं धरने पर बैठ गये।
तीन दिन पश्चात इस बात पर सहमति बनी कि चयन आयोग अपनी website पर पदों की संख्या अधिसूचित करेगा और भर्ती प्रक्रिया सरकार के निर्देश पर ही शुरू करेगा।
संक्षेप में सरकार ने अभी रोक लगा रखी है।
इस प्रकार भाजपा सरकार की भर्ती के प्रति उदासीन रवैये के कारण सालों से तैयारी कर रहे नौजवान मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं। कतिपय बेरोजगार ओवरएज होने की कगार पर हैं। चुनावी में मोड में आ चुकी सरकार बेरोजगार नौजवानों को फिर से भूल चुकी है देखना यह है कि 3 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में सरकार बेरोजगारों के लिए कौन सा नया जुमला लेकर आती है।