धुमाकोट बस हादसे में घायलों और मृतकों के परिजनों से मुलाकात करने पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को जनता के भारी आक्रोश का सामना करना पड़ा।
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एक ग्रामीण महिला तो दुर्घटना के बाद मौके पर पहुंचे भारी भरकम सरकारी अमले के साथ पहुंचे मुख्यमंत्री पर ही भड़क उठी महिला ने कहा कि जब लोगों के घर उजड़ गए तब आ रहे हो।” भागो यहां से वरना हम पत्थर मारेंगे। फिर तुम्हें जो मर्जी करना है कर लेना।” महिला ने कहा,- “और दिन क्यों नहीं घूमते हो तुम लोग इधर, बस वोट बनाने के लिए आ जाते हो।”
क्षेत्रीय लोगों का कहना था कि जब जनता समस्याओं से जूझ रही होती है, तब ना न कोई जनप्रतिनिधि इन्हें ठीक करने के लिए आता है और न ही कोई सरकारी नुमाइंदा। किंतु जब इस तरह के हादसे शासन-प्रशासन की लापरवाही के कारण घटित हो जाते हैं, तब जरूर सांत्वना दिखाने के लिए सारे जनप्रतिनिधि और शासन-प्रशासन के लोग भारी भरकम अमले के साथ संवेदना जताने आ पहुंचते हैं और मामला शांत होते ही फिर कोई उन समस्याओं को हल करने कि न तो सुध लेता है और न ही जनता का रुख करता है।वे आते हैं तो अगली बार चुनाव के मौसम में”।
माना जा रहा है कि जनता का यह विरोध झेलने के बाद मुख्यमंत्री के आदेश पर तत्काल थानेदार और एआरटीओ को सस्पेंड तो कर दिया लेकिन जनता क्षेत्र से गायब डॉक्टरों और खराब सड़कों के लिए जिम्मेदार पीडब्लूडी के अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही करने की मांग कर रही है।
यह वीडियो पहाड़ की व्यथा-कथा का एक छोटा सा नमूना है और यदि वाकई में पलायन रोकना है तो सरकार को पहाड़ की इन समस्याओं को संवेदनशीलता के साथ निराकरण करना होगा। धुमाकोट की सड़क पर भारी भरकम गड्ढे से बचने के लिए ड्राइवर सड़क के किनारे तक गाड़ी ले गया और कच्चे पुश्ते के धंसने के कारण गाड़ी खाई में जा गिरी थी। इस कच्चे पुश्ते तथा गड्ढे के लिए जिम्मेदार विभाग पर अभी तक सभी की चुप्पी भी क्षेत्रवासियों को नागवार गुजर रही है।