समाचार प्लस के सीईओ उमेश कुमार देहरादून में जमानत मिलने के बाद बी वारंट पर रांची ले जाए गए हैं और अब 24 तारीख से पहले रांची की कोर्ट में उनकी पेशी है।
अहम सवाल यह खड़ा हो गया है कि इस चक्की में और कौन-कौन लोग पीसे जाएंगे !
इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उमेश शर्मा के खिलाफ जो पहली एफ आई आर लिखाई गई थी, उसमें भी उत्तराखंड सरकार को अस्थिर करने के आरोप आयुष गौड़ ने लगाए थे और रांची झारखंड में भी मुख्यमंत्री को अपना दोस्त बताने वाले अमृतेश सिंह ने भी रांची में राजद्रोह का ही मुकदमा दर्ज कराया है।
इन दोनों एफ आई आर का विश्लेषण करें तो चौंकाने वाले इशारे मिल सकते हैं।
आयुष गौड़ द्वारा की गई एफआईआर पर जरा गौर करें तो उसमे एक जगह पर जिक्र है कि आयुष गौड़ कहता है कि उसे स्टिंग करने के बाद सीडी में लोड करके कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के पुत्र की शादी में देने के लिए कहा गया था।
जरा सा विश्लेषण करें तो एक सवाल यह उठता है कि आखिर प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद और हरक सिंह रावत के कद्दावर कैबिनेट मिनिस्टर होने के बावजूद एफआईआर में हरक सिंह रावत का जिक्र आखिर क्यों किया गया !
यह सवाल तब और भी प्रासंगिक हो जाता है जब आयुष गौड पहले ही कह चुका है कि यह एफ आईआर उनसे उनके किसी दोस्त ने लिखाई थी।
दूसरा तथ्य यह है कि आयुष गौड ने पहले ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह स्वीकार किया था कि वह एफ आई आर में दर्ज व्यक्ति राहुल भाटिया को नहीं जानते जबकि एफ आई आर में राहुल भाटिया के नाम के साथ ही उस के आवास और निवास स्थान के पते का भी जिक्र है।
जाहिर है कि एफ आइ आर के पीछे कोई और है और यदि वाकई कोई और है तो फिर एफ आई आर में हरक सिंह रावत के नाम होने का क्या मतलब है !
यह एक साधारण घटनाक्रम है अथवा जानबूझकर हरक सिंह रावत का नाम इस f.i.r. में लिखाया गया है और यदि हरक सिंह रावत का नाम साधारण घटना क्रम के तहत दिखाया गया है तो फिर राज्य को अस्थिर करने की साजिश का जिक्र एफआईआर में क्यों है !
सरकार को अस्थिर करना तो या तो सरकार में शामिल विधायकों और मंत्रियों के ही हाथ में हो सकता है अथवा संगठन के किसी बड़े नेता के हाथ में।
सवाल यह है कि इस एफआईआर की बात को यदि सच माने तो फिर आखिर वह नेता कौन है जिनके साथ मिलकर उमेश कुमार सरकार को अस्थिर करने की साजिश रच रहा था !
रांची में की गई एफआईआर में भी राजद्रोह और सरकार को अस्थिर करने के लिए सबूत जुटाने की बात कही गई है।
आखिर सरकार को अस्थिर करने की बात दोनों एफ आई आर में कोई बड़ा इशारा करती है।
क्या उमेश कुमार के खिलाफ इस बहती गंगा में दो-तीन और दिग्गज नेताओं को भी बहा ले जाने की कोई साजिश है !
उमेश जे कुमार को कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का करीबी भी माना जाता है, साथ ही उमेश कुमार के खिलाफ मुकदमों की वापसी के लिए भगत सिंह कोश्यारी और अजय भट्ट द्वारा लिखे गए पैरवी वाले पत्रों को क्या इन दोनों नेताओं के खिलाफ कोई इस्तेमाल करना चाहता है ! यह भी एक बड़ा सवाल है।
तीसरा सवाल यह है कि आयुष गौड़ ने अपनी एफ आई आर मे मृत्युंजय मिश्रा का नाम साजिशकर्ताओं में शुमार किया है जबकि पूरी स्टिंग की कहानी यह साफ-साफ कहती है कि मृत्युंजय मिश्रा को तो ओमप्रकाश के स्टिंग करने के लिए एक एजेंट अथवा टूल के रूप में इस्तेमाल किया गया था। यह हर कोई जानता है कि मृत्युंजय मिश्रा अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश का सबसे करीबी अफसर है और हर एक विवाद में मृत्युंजय मिश्रा को बचाने के पीछे अपर मुख्य सचिव का हाथ दिखाई देता है।
ऐसे में यह कैसे हो सकता है कि अपर मुख्य सचिव का स्टिंग करने में मृत्युंजय मिश्रा की साजिश रही हो !
इस एफ आई आर में मृत्युंजय मिश्रा का नाम होने के पीछे यही समीकरण लगता है कि कोई ना कोई एक ऐसा शख्स इस f.i.r. लिखवाने के पीछे खड़ा है, जिसकी मृत्युंजय मिश्रा से नहीं बनती और इस एफ आई आर के बहाने मृत्युंजय मिश्रा को भी निपटाने की प्लानिंग दिखाई देती है।
स्टिंग की कहानी को सच माने तो मृत्युंजय मिश्रा तो पीड़ित व्यक्तियों में शुमार किया जाएगा न कि साजिश कर्ताओं में। आखिर वह शख्स कौन है जो उमेश कुमार के खिलाफ इस बहती नदी में मृत्युंजय मिश्रा को भी बहा ले जाना चाहता है !
पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार वर्तमान में मृत्युंजय मिश्रा के खिलाफ कोई मी टू अथवा एससी एसटी एक्ट जैसा केस खोजे जाने की तैयारी चल रही है और कोई मोहरा मिलते ही मृत्युंजय मिश्रा पर ऐसे केस लगाने के लिए यह व्यक्ति कोशिश कर सकता है।
एक सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि आयुष गौड़ द्वारा दर्ज एफ आई आर की बात माने तो उमेश कुमार स्टिंग के बाद एक्सटॉर्शन और ब्लैक मेलिंग करना चाहता था तथा सरकार को अस्थिर करना चाहता था।
ऐसे में आखिर वह व्यक्ति कौन था जिसे ब्लैकमेल किए जाने की तैयारी थी और ऐसा कौन सा स्टिंग था, जिससे वह शक्स ब्लैकमेल हो जाता !
और अहम सवाल यह भी है कि उमेश कुमार के पास ऐसा कौन सा और किस व्यक्ति का स्टिंग है जिसे हासिल करने के लिए सरकार ने सारे घोड़े खोल दिए और स्टिंग न मिलने पर हाई कोर्ट से उमेश कुमार का नारको टेस्ट और ब्रेन मैपिंग टेस्ट कराने की भरपूर कोशिश की थी। हालांकि अभी तक स्टिंग का कोई सबूत मिला और न टेस्ट की इजाजत। अभी तक सरकार यही साबित नहीं कर पाई है कि स्टिंग हुआ भी था कि नहीं। सरकार की यही अक्षमता उमेश की जमानत का आधार बनी।
आखिर वह स्टिंग और वह शख्स सामने क्यों नहीं है और यदि सरकार को अस्थिर करने जैसी साजिश भी है तो जिस नेता साथ मिलकर 56 विधायकों वाली प्रचंड बहुमत की सरकार को स्थिर किए जाने की साजिश रची जा रही है, वह नेता कौन है और कहां है !
वर्तमान परिस्थितियां तो यही इशारा कर रही हैं कि आयुष गौड़ द्वारा लिखाई गई एफ आई आर में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का नाम, साजिशकर्ता मे मृत्युन्जय मिश्रा का नाम और सरकार को अस्थिर करने की साजिश वाले आरोप महज यूं ही नहीं है। इसके पीछे किसी न किसी व्यक्ति की कोई गहरी साजिश लगती है !