वेतन भत्तों की बढोतरी एवं कर्मचारियों की अन्य लंबित मांगों को लेकर कर्मचारियों ने 31 जनवरी को सामूहिक अवकाश और 4 फरवरी को उत्तराखंड में महारैली का आयोजन करने की पूरी तैयारी कर दी है। सचिवालय संघ के संयोजक तथा प्रदेश के सभी अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक वर्ग-उपनल आउटसोर्स कर्मियों ने सामूहिक रूप से हड़ताल पर जाने का फैसला कर लिया है।
इससे घबराई सरकार ने सभी विभागों को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि किसी भी कर्मचारी को अवकाश स्वीकृत न किया जाए।
गौरतलब है कि उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने यह फैसला लिया है कि यदि प्रदेश के तीन चार लाख कर्मचारियों से संबंधित 10 सूत्रीय मांगपत्र पर 30 जनवरी तक मुख्यमंत्री कोई ढंग का निर्णय नहीं लेते हैं तो फिर 31 जनवरी को सभी कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर रहेंगे और 4 फरवरी को प्रदेश व्यापी महा रैली निकालेंगे।
इस संबंध में आज समन्वय समिति ने एक बैठक भी आयोजित की। इसके लिए जनपद स्तर पर संयोजक मंडल बनाए गए हैं और 31 जनवरी के सामूहिक अवकाश के बाद 4 फरवरी को परेड ग्राउंड में प्रदेश के सभी कर्मचारियों को इस महारैली में पहुंचने के लिए तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। दरअसल कुछ दिन पहले सरकार ने कर्मचारियों के 15 विभिन्न भत्ते बंद कर दिए थे। इससे कर्मचारियों में उबाल आ गया।
घबराकर सरकार ने 15 भत्तों पर पुनर्विचार करने की बात कही, लेकिन कर्मचारियों का गुस्सा तब तक भड़क चुका था।
कर्मचारियों का मानना है कि पुनर्विचार की बात केवल मुद्दे को भटकाने के लिए कही जा रही है और मात्र आश्वासन पर हड़ताल वापस नहीं ली जाएगी।
कर्मचारियों ने व्यापक समर्थन जुटाने के उद्देश्य से 28, 29 और 30 को जनपद स्तर और मुख्यालयों पर भी जन जागरूकता अभियान के तहत गेट मीटिंग आयोजित करने का भी फैसला किया है।
उत्तराखंड सचिवालय संघ ने भी सातवें वेतनमान के अनुसार मकान किराया भत्ता और सचिवालय भत्ता में वृद्धि किए जाने सहित कई अन्य मांगों को लेकर हड़ताल में शामिल होने का ऐलान किया है।
सरकार कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार से घबरा गई है और आज उत्तराखंड शासन में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी सचिवों और विभागाध्यक्षों को पत्र लिखकर कर्मचारियों की हड़ताल और कार्य बहिष्कार पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। साथ ही निर्देश जारी किए हैं कि कर्मचारियों को बिल्कुल भी अवकाश स्वीकृत न किया जाए।
शासन के आदेश के बाद सरकार और कर्मचारी आंदोलन को लेकर आमने-सामने आ खड़े हो गए हैं।