मामचन्द शाह
यूं तो देश के प्रमुख अस्पतालों में शुमार एम्स अक्सर बेहतर इलाज के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार वह इलाज नहीं, बल्कि बेरोजगारों को ठगने के लिए चर्चाओं में आया है। ऋषिकेश स्थित एम्स पर आरोप है कि उसने एक ऐसी आउटसोर्सिंग एजेंसी को नौकरी लगाने का जिम्मा दिया है, जिसने बेरोजगारों से करोड़ों रुपए ठगने के बावजूद उन्हें नौकरी नहीं दिलाई।
जानकारी के मुताबिक एम्स ने कोर सिक्योरिटी सर्विस के साथ आउटसोर्स के लिए करार किया है। कोर सिक्योरिटी सर्विस के मैनेजर करनाल निवासी राजीव अरोड़ा पर आरोप है कि उन्होंने एम्स में बीएससी नर्सिंग व जीएनएम के पद पर आउटसोर्सिंग पर नौकरी लगाने के नाम पर करीब सौ बेरोजगार युवाओं से लगभग तीन से साढे तीन लाख रुपए प्रति युवा लिए हैं। पैसे लेने के बाद एजेंसी ने उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र भी थमाया, लेकिन जब वे नियुक्ति पत्र लेकर एम्स में पहुंचे तो उन्हें मालूम हुआ कि उक्त नियुक्ति पत्र तो फर्जी है, यह देख उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। हालांकि कुछ चहेते युवाओं से भी पैसे लेकर उन्हें नौकरी दिलाई गई, लेकिन इसकी भनक किसी को नहीं लग पाई। सूत्रों के अनुसार ऐसे युवा नौकरी जाने के डर से अब मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं। इस तरह ठगी का शिकार हुए सभी युवा एकत्र हो गए और आक्रोशित होकर कोर सिक्योरिटी सर्विस के मैनेजर राजीव अरोड़ा की पिटाई करने के बाद उसे पुलिस के हवाले कर दिया। हालांकि इस संबंध में एम्स प्रशासन अपनी सफाई देते हुए कह रहा है कि उन्होंने इसकी जिम्मेदारी एक एजेंसी को दी है। ऐसे में उन्हें युवाओं के साथ ठगी होने की कोई जानकारी नहीं है।
पिछले दो माह से एम्स के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे उतराखंड जन विकास मंच के प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि यदि सरकार सीबीआई से एम्स भर्ती घोटाले की जांच करा दे तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। वह यह भी कहते हैं कि बिना एम्स प्रशासन की मिलीभगत के बेरोजगारों के साथ इस तरह की धोखाधड़ी नहीं हो सकती।
बता दें कि तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के ७० प्रतिशत पदों पर प्रदेश के बेरोजगारों को ही नौकरी पर रखने की बात कही थी। बावजूद इसके स्थानीय बेरोजगारों के हकों पर डाका डालकर बाहरी युवाओं को नौकरी दी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि स्थापना की शुरुआत से ही एम्स काफी विवादित रहा है। कुछेक भाजपा कार्यकर्ता इन तमाम अनियमिताओं के खिलाफ धरना दे रहे हैं। बेरोजगारों के साथ ठगी होने से इसकी गूंज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक जा पहुंची है। बावजूद इसके प्रदेश में जीरो टोलरेंस की सरकार इस ओर ध्यान देने की जरूरत ही नहीं समझ रही है। ऐसे में भाजपा के प्रति भी बेरोजगारों की रुखसत बढऩे लगी है।
देखना यह है कि एम्स प्रशासन और उसकी आउटसोर्सिंग एजेंसी की मिलीभगत की प्रदेश की डबल इंजन की सरकार कब तक भंडाफोड़ कर पाती है और ठगी के शिकार युवाओं को न्याय दिलाती है या नहीं।