2000 के नोटों की संख्या बताने से है देश की एकता अखंडता को खतरा तो 500 के नोटों की संख्या से क्यों नहीं!
आरबीआई बना कठपुतली, क्यों नहीं बताये जा रहे आंकड़े।
किसको फायदा पहुंचाने के लिए आरबीआई खेल रहा ये खेल।
500 व 1000 रुपए की पुुरानी करैंसी कितनी जमा हुई, वर्तमान में नहीं है कोई आंंकड़ा
आरबीआई के अंतर्गत करेंसी नोट प्रेस ने सूचना के अधिकार में सामाजिक कार्यकर्ता रघुनाथ नेगी को जानकारी दी कि 2016-17 में 500 रुपए के नए 1245.424 मिलियन पीसेस नोट छपे हैं तथा 2017-18 में 843.869 मिलियन पीसेस नोट छपे हैं, जबकि 2000 रुपए के नए नोटों के संबंध में आरबीआई ने कोई सूचना होने से इंकार कर दिया।
राज्यसभा में कुछ दिन पहले दो रंगों के 2000 के नोट लहराए गए और उनकी सत्यता को लेकर काफी हंगामा भी हुआ। इससे पहले अलग-अलग तरह के 500 रुपए के नोटों पर उठे सवाल के जवाब में सरकार तथा गवर्नर को सफाई देनी पड़ गई थी। सूचना के अधिकार में जानकारी न होने का हवाला देने से सवाल खड़े हो रहे हैं।
आज सूचना के अधिकार में मिली जानकारी साझा करते हुए जनसंघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन ने पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि अब देश को अंधभक्त देशवासी नहीं बल्कि मीडिया ही बचा सकता है। नेगी ने चिन्ता जतायी कि नोटबंदी के दौरान से लगभग-लगभग 09 माह हो गये हैं तथा इस दौरान अब तक लाखों करोड़ रुपये मूल्य के 2000 के नोट प्रचलन में आ गये हैं, यानि जनमानस के पास पहुंच गये हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि रिजर्व बैंक द्वारा उनकी छपाई या संख्या से सम्बन्धित कोई आंकड़े नहीं हैं। जिससे प्रतीत होता है कि देश को कमजोर करने की कोई बड़ी साजिश रची जा रही है। पीएम मोदी आज चंद उद्योग घरानों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से ये सारा कुचक्र रच रहे हैं।
आलम यह है कि रिजर्व बैंक से लेकर उसकी इकाईयों तक को 2000 रू0 के नये नोटों की संख्या का कोई अता-पता नहीं है, ऐसा प्रतीत होता है कि रिजर्व बैंक व उसकी इकाइयॉं आज गुलामी की जंजीरों में जकड़ी हुई है तथा उनको मुक्त कराने की जरूरत है।
मोर्चा के प्रयास से अभी हाल ही में रिजर्व बैंक द्वारा 500 के नये नोटों की संख्या/ब्यौरा उपलब्ध कराया गया है, लेकिन 2000 के नोटों की संख्या का ब्यौरा उपलब्ध न कराना, मालूम नहीं होना तथा मनगढंत अवरोध पैदा करना अपने आप में चिंता का विषय है। आरबीआई व उसकी इकाइयां इसकी संख्या बताने से देश की एकता, अखण्डता, संप्रभुता का खतरा बताकर अपना पल्ला झाडऩे का काम कर रही है।
आज देश को बचाने के लिए हिन्दुस्तान के अंधभक्तों को आंखे खोलनी होगी, लेकिन उनकी आंखं सिर्फ मीडिया ही खोल सकता है।
नेगी ने हैरानी जतायी कि आज देश में पुरानी करैंसी पकड़ी जा रही है, जिससे प्रतीत होता है कि रिजर्व बैंक कोई बड़ा खेल देश से खेल रहा है तथा अभी भी पुराने नोटों को बदलने का सिलसिला चल रहा है, वरना इन पुराने नोटों (जो रद्दी हो गये हैं) का कोई क्या करेगा! इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार (रिजर्व बैंक) के पास आज तक कितनी पुरानी करैंसी (500-1000 रु.) जमा हुई, इसका भी हिसाब नहीं है।