कुमार दुष्यंत
हरिद्वार में गंगा में शवों के बहकर आने का सिलसिला जारी है।बीती शाम भी पुलिस ने पथरी पावर हाऊस से एक अधेड़ का शव बरामद किया।अन्य शवों की तरह इस शव की भी पहचान नहीं हो पायी।गंगा में अज्ञात शवों का बहकर आना मृतकों के साथ किसी आपराधिक अनहोनी होने की ओर इशारा कर रहा है।
मई के पहले सप्ताह में ही पुलिस को गंगा में उतराते हुए सात शव मिले।इनमें पहले पांच शव ज्वालापुर स्केप चैनल पर फंसे मिले।जबकि इसके दो दिन बाद रानीपुर झाल पर दो शव मिले।इन सात शवों में दो महिलाओं के व पांच पुरुषों के शव थे।जबकि बीती शाम एक अधेड पुरुष का शव पथरी पावर हाऊस में फंसा मिला।यह सभी शव तीस से पचपन की आयु के बीच के हैं।व परीक्षण मे पांच से सात दिन पुराने बताए गये हैं।अभी तक इनमें से किसी भी शव की पहचान नहीं हो सकी है।
हरिद्वार में गंगा में शवों का बहकर आना कोई नई बात नहीं है।आमतौर पर गर्मियों में ऐसी घटनाएं ज्यादा देखने को मिलती हैं।लेकिन डूबने के कारण या नहाते हुए लापता होने की घटनाएं क्योंकि पुलिस में पंजीकृत होती हैं।इसलिए गंगा में किसी शव की बरामदगी पर उसका मिलान कर लिया जाता है।कई बार यात्रा मार्ग या पहाडों में नदी किनारे हुई दुर्घटनाओं के कारण भी शव बहकर नीचे आ जाते हैं।लेकिन शव यदि ज्यादा पुराने न हों तो ज्यादातर मामलों में उनकी पहचान हो जाती है।लेकिन शव यदि ज्यादा पुराने न हों और पहचाने जाने योग्य हों।उनकी गुमशुदगी भी कहीं न दर्ज हो तो ऐसे मामले असामान्य बन जाते हैं।
आमतौर पर पुलिस द्वारा अज्ञात शवों को तीन दिन तक दावेदारों की प्रतिक्षा में मोर्चरी में सुरक्षित रखा जाता है।लेकिन डूबे हुए शवों को ज्यादा दिनों तक रखने में समस्याएं पेश आती हैं।इसलिए इनका डाटा सुरक्षित रख शवों का निस्तारण कर दिया जाता है।जिसके कारण अनेक बार ऐसे शवों की पहचान अज्ञात ही रह जाती है।
हरिद्वार में गंगा से मिले सभी शव ज्यादा पुराने नहीं हैं।इन आठ शवों में से किसी एक की भी अब तक पहचान नहीं हुई है।इन हालात में इन लोगों के किसी हादसे या अनहोनी का शिकार होने की संभावनाएं ज्यादा हैं।पुलिस अब आसपास की गुमशुदगियों से इन शवों के मिलान में जुटी है।महज चंद दिनों में गंगा से आधा दर्जन से भी अधिक अज्ञात शवों के मिलने से हर कोई हैरान है।