हाईकोर्ट ने क्रेडिट व डेबिट कार्ड से लेनदेन पर अधिभार लगाने के विरोध में दायर याचिका पर केंद्र व भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। याचिका में इस निर्णय को अवैध और भेदभावपूर्ण बताया गया है।
बावजूद अभी तक जवाब नहीं दिया गया। अदालत ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता से कहा कि सरकार से पूछकर अपना पक्ष रखे। अदालत ने मामले की सुनवाई 4 जनवरी 2017 तय की है।
यह जनहित याचिका अधिवक्ता अमित साहनी ने दायर की है।
उन्होंने अदालत को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिए हैं। अब लेनदेन मात्र क्रेडिट व डेबिट कार्ड से ही रह गया है ऐसे में शुल्क लगाना अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण है।
याची ने कहा कि इस निर्णय से हर व्यक्ति प्रभावित है जिसका बैंक में खाता है और उसका बड़े पैमाने पर राष्ट्र के कल्याण में योगदान है। उन्होंने कहा क्रेडिट व डेबिट कार्ड से पैट्रोल भरवाने पर भी शुल्क असमान और मनमाना है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि मंत्रालय और आरबीआई देशभर के बैंकों पर निगरानी के लिए दिशा निर्देश व नियम तय करते हैं। ऐसे में उन्हें क्रेडिट-डेबिट कार्ड से लेनदेन पर शुल्क लगाने पर रोक लगाने का निर्देश दिया जाए।
उन्होंने कहा अधिभार लगाना न केवल अवैध और भेदभावपूर्ण है बल्कि यह नगद में काले धन का प्रचलन को बढ़ावा देता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि आम रूप से देखा गया है कि क्रेडिट व डेबिट से लेनदेन पर बैंक 2.5 प्रतिशत तक का लेवी अधिभार लगा रहे हैं। इस तरह का सरचार्ज नहीं लगाया जाना चाहिए।