चंद्रमोहन शर्मा
देहरादून के नजदीकी कालसी लॉक में कई स्कूलों में छात्र नहीं हैं, फिर भी दो-दो टीचर और भोजनमाता तैनात हैं।
राजनीतिक संरक्षण के बल पर सरकारी अध्यापक देहरादून में ही डटे रहना चाहते हैं, इसीलिए भले ही स्कूलों में छात्र हो या न हो, लेकिन वह किसी भी तरह से देहरादून के स्कूलों में ही चिपके रहना चाहते हैं। कई स्कूलों में छात्र संख्या भले ही जीरो है, लेकिन अध्यापक को वहां से स्थानांतरण करके किसी जरूरत वाले विद्यालय में भेजने की हिम्मत शिक्षा विभाग के अधिकारी भी नहीं दिखा पा रहे हैं। कई विद्यालयों में पद ही नहीं है। इसके बावजूद भी वहां स्वीकृत संख्या से अधिक अध्यापकों को अटैच किया गया है।
सूचना के अधिकार में प्राप्त जानकारी के अनुसार कालसी लॉक के विद्यालयों में एक भी छात्र नहीं पढ़ता। इसके बाबजूद यहां बाकायदा अध्यापक तैनात हैं। कालसी लॉक के कई राजकीय प्राथमिक विद्यालय ठुरऊ में एक भी छात्र नहीं पढ़ता, किंतु यहां पर जीवंती कुमारी तथा कृष्णानंद राजपूत नाम के दो अध्यापक तैनात हैं। कांडोई तथा कमला के प्राथमिक स्कूलों में भी एक भी छात्र नहीं पढ़ता है, किंतु यहां भी बाकायदा दो-दो अध्यापक तैनात हैं। कांडोई में अंजू पंत तथा दिनेश सिंह रावत तैनात हैं, जबकि कामला में गुलाब सिंह और अरुण कुमार। राजकीय प्राथमिक विद्यालय लोहारना में मात्र दो छात्र हैं, किंतु यहां पर भी राजेश्वर सिंह तोमर और पुनीत शर्मा नाम के दो अध्यापक तैनात हैं। पाटा व समाया के प्राथमिक विद्यालयों में एक भी छात्र नहीं है, किंतु यहां पर भी बाकायदा अध्यापक तैनात हैं।
रा.प्रा.वि. धिधउ में नौ छात्र हैं और तीन अध्यापक हैं। पणायसा में भी दस छात्रों पर तीन अध्यापक हैं। एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि उप शिक्षा अधिकारी कालसी द्वारा दी गई सूचना के अनुसार जडाना के प्राथमिक स्कूल में एक भी छात्र तथा अध्यापक भी नहीं है, किंतु यहां पर बाकायदा भोजनमाता के मानदेय तथा मिड डे मील पर पैसा खर्च हो रहा है। भोजनमाता के रूप में यहां पर सीमा देवी तैनात है। इस स्कूल में मिड डे मील पर 1358 रुपए खर्च हुए हैं तथा मानदेय के रूप में इन्हें 17,500 दिए गए हैं। राजकीय प्राथमिक विद्यालय समाया में भी संतोष परमार की तैनाती है, जबकि यहां पर भी एक भी छात्र नहीं पढ़ता। समाया के विद्यालय में धापू देवी भोजनमाता के रूप में तैनात हैं। मिड डे मील पर उनका खर्च 809 रुपए आया, जबकि उन्हें मानदेय के रूप में 17500 रुपए दिए गए हैं।
सवाल यह उठता है कि जब इन विद्यालयों में एक भी छात्र नहीं है तो फिर यहां पर दो-दो अध्यापक या कर रहे हैं तथा भोजनमाता की तैनाती के साथ ही मिड डे मील पर खर्चा यों किया जा रहा है।
कालसी लॉक के राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय लोहारी में हिंदू पुरोहित नाम की सहायक अध्यापक है, किंतु यहां पर एक भी छात्र अध्ययनरत नहीं है, जबकि रा. पूर्व माध्यमिक विद्यालय विसोई व मगरौली में आठ-दस छात्रों पर दो-दो अध्यापक चिपके हुए हैं। राजकीय प्राथमिक विद्यालय रैठवाण गांव रायपुर लॉक में पड़ता है। यहां पर भी एक भी छात्र अध्ययनरत नहीं है, किंतु दो अध्यापकों को समायोजन पर यहां लाया गया है। भारी-भरकम तनख्वाह लेने वाले बिना काम के तैनात इन अध्यापकों के विषय में शिक्षा विभाग सोचने को तैयार नहीं है तथा बिना काम के वेतन ले रहे हैं।
विकासनगर लाक के बादाम, आवला तथा चिडिय़ों गांव में भी छात्र संख्या 10 से कम है, किंतु यहां पर दो से अधिक अध्यापक तैनात हैं। राजकीय प्राथमिक विद्यालय पूर्वा में मात्र नौ छात्र हैं, किंतु यहां पर पूर्ण सिंह नेगी, गिरीश चंद्र और प्रेरणा सैनी नाम से तीन-तीन अध्यापक तैनात हैं। इसी तरह से निगम गांव में अभी नौ बच्चों पर तीन अध्यापक तैनात हैं। कालसी लॉक के इस स्कूल में हरीश चंद्र, मोहन चंद्र नैथानी तथा राजीव ठाकुर नाम के अध्यापक पढ़ा रहे हैं।
कालसी लाक के कुल 64 प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्या 10 से कम है, किंतु इनमें अधिकांश पर दो-दो अध्यापक तैनात हैं। जाहिर है कि जिन विद्यालयों में राजनीतिक पहुंच वाले अध्यापक तैनात हैं, उन्हें छात्रों को पढ़ाने से कोई मतलब नहीं है, किंतु यह लोग मात्र वेतन और कामचोरी के लिए बिना छात्र संख्या वाले इन स्कूलों में तैनात हैं। इससे न सिर्फ सरकार के राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि शिक्षा विभाग की छवि भी खराब हो रही है। कालसी लॉक के झुटाया व भुगतार गांव के प्राथमिक स्कूलों में भी मात्र पांच छात्र संख्या पर पदम बहादुर तथा दिनेश रावत नाम के दो-दो अध्यापक तैनात हैं। बहरहाल, इस तरह शिक्षकों की मिलीभगत से सरकारी धन की जमकर बर्बादी की जा रही है। द्य