आखिरकार उत्तराखंड टूरिज्म ने माना कि आल वैदर रोड़ परियोजना ने चार धाम यात्रा 2019 की वाट लगा दी है !
— भूपत सिंह बिष्ट
अरबों रूपये की आल वैदर रोड़ परियोजना समय पर पूरा न हो पाने से चार धाम यात्रा 2019 के लिए अब घाटे का सौदा साबित हो रही है, उत्तराखंड टूरिज्म के पदाधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर रूट बदलने की मेल का कुछ ऐसा मजमून टूर आपरेटर्स को भेजा जा रहा है।
चार धाम यात्रा से जुड़े एक स्थानीय टूर आपरेटर ने अपनी मेल साझा करते हुए बताया है कि “चार धाम यात्रा का मार्ग हरिद्वार – ऋषिकेश से बदलकर कोटद्वार – पौड़ी – श्रीनगर के रास्ते चलाने का पत्राचार हमें अब आखिरी समय पर दिया जा रहा है।”
सीजन से ऐन पहले रूट बदलने के कारण टूर ऑपरेटर्स में भी गलतफहमियां और कन्फ्यूजन बढ़ गया है। इस रूट परिवर्तन के कारण लोग गंगोत्री और यमुनोत्री जाना कैंसिल कर सकते हैं।
यह नया रूट धार्मिक मान्यता के उलट भी है।
उल्लेखनीय है कि गंगोत्री – यमुनोत्री के कपाट 7 मई को, श्री केदारनाथ धाम 9 मई को और श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट 10 मई को धार्मिक अनुष्ठानों के अनुरूप खोले जाने हैं।
बदला रुट
अनेक तीर्थयात्री यमुनोत्री व गंगोत्री धाम से जल लेकर श्री केदारनाथ और श्री बदरीनाथधाम में चढ़ाते हैं।
गढ़वाल मंडल विकास निगम के अधिकारी बाकायदा हरिद्वार – ऋषिकेश – श्रीनगर मार्ग को सड़क निर्माण की दृष्टि से खतरनाक बताने का तुलनात्मक चार्ट भी संलग्न कर रहे हैं कि सड़क निर्माण के दौरान भूस्खलन और जाम जैसी तमाम असुविधाओं से तीर्थयात्रियों को भारी असुविधा होने वाली है।
आल वैदर रोड़ परियोजना एक साथ सभी चार धामों में शुरू करने से कोई भी मार्ग यात्रा के लिए तैयार नही हो पाया है और एक बरसात में सभी यात्रा मार्गों पर पहाड़ दरकने और मलबा आने जैसी तमाम बाधाओं का सामना हजारों तीर्थयात्रियों को करना पड़ सकता है।
पर्वतजन ने पौड़ी के जिला पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी से बात की तो उन्होंने बताया कि यह एक वैकल्पिक रूट है और इसे उन्होंने केवल ट्रैफिक का दबाव कम करने के लिए उन्होंने ही बिना अनुमति के बनाया है किंतु यह मेल वास्तव में देहरादून पर्यटन विकास परिषद के अधिकारी ने भेजी है। पूनमचंद उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के सहायक निदेशक हैं इसलिए यह रूट परिवर्तन जाहिर है कि उच्चाधिकारियों के कहने पर ही किया गया है।
उत्तराखंड में हालात आज पर्यटन के लिहाज से काफी खराब हैं। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अपने महकमे में जरा भी नहीं चलती। पर्यटन सचिव उड़ीसा निर्वाचन ड्यूटी पर गए हैं। पिछले साल यात्रा की जिम्मेदारी अच्छे से निभाने वाली गढ़वाल मंडल विकास निगम की एमडी नीरज ज्योति खैरवाल सरकार और शासन से सपोर्ट न मिलने के कारण नाराज होकर यात्रा सीजन शुरू होने से ऐन पहले चाइल्ड केयर लीव पर चली गई हैं। अब आप ही बताइए जिस प्रदेश के मंत्री संत्री और अफसर पूरे देश में घूम रहे हों और उस प्रदेश में पूरे देश के लोग आने वाले हों तो भला उनकी जिम्मेदारी कौन निभाएगा ! यह अपने आप में बेहद अहम सवाल है।
एक निवेदन
पर्वतजन अपने पाठकों से अनुरोध करता है कि इस खबर को राज्य से बाहर के किसी सोशल मीडिया में शेयर मत करें इससे हमारे राज्य की छवि खराब होने की आशंका है।
यह लेख केवल शासन प्रशासन और सरकार को उचित समय रहते उचित कदम उठवाने के उद्देश्य से लिखा गया है।