यह मामला टिहरी गढ़वाल के भिलंगना ब्लॉक का है। इस ब्लॉक के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निवाल गांव के नाम पर वर्ष 2013-14 में विधायक निधि के अंतर्गत विद्यार्थियों के बैठने के लिए कुर्सी-मेज उपलब्ध कराए गए थे।
लेकिन पता चला कि छात्र छात्राओं को कुर्सी मेज मिले ही नहीं। तत्कालीन विधायक भीम लाल आर्य की विधायक निधि से ₹2लाख 100 कुर्सी तथा 100 मेज उपलब्ध कराने के लिए अवमुक्त किए गए थे। इसका ठेका देहरादून के साई इंटरप्राइजेज को दिया गया था, लेकिन विद्यालय में कुर्सी मेज नहीं पहुंचे।
दिलचस्प तथ्य देखिए कि ब्लॉक में बाकायदा कुर्सी मेजों की फोटो तथा कुर्सी मेज के साथ 3 अध्यापकों की फोटो भी बिल के साथ लग गई और भुगतान भी हो गया।
जब पर्वतजन ने अपने स्तर पर इसकी जांच की तो पता चला कि साई इंटरप्राइजेज के द्वारा जो प्राप्ति रसीद है उस पर हस्ताक्षर और मोहर भी निवाल गांव के किसी अध्यापक के नहीं हैं। यह दोनों फर्जी हैं। रसीद पर जो हस्ताक्षर और फोटो दर्शाए गए हैं, वह उस विद्यालय के किसी भी अध्यापक अथवा कर्मचारी के नहीं है। विद्यालय के हेड मास्टर संगीता प्रसाद बसलियाल ने 6 जुलाई 2018 को खंड शिक्षा अधिकारी को एक पत्र लिखकर फर्नीचर के विषय में यथा स्थिति से अवगत करा दिया है। इसकी कॉपी डीएम टिहरी तथा सीडीओ टिहरी को भी की गई है।
हैरतअंगेज तथ्य यह है कि यह सामान उपलब्ध कराने के लिए कार्यदाई संस्था जब विकासखंड भिलंगना थी तो फिर उन्होंने बिना किसी सत्यापन के केवल उपलब्ध कराई गई फोटो पर ही कैसे धन अवमुक्त कर दिया !! जाहिर है कि इसमें कमीशन का भी मोटा खेल खेला गया है।
विधायक गण भले ही विधायक निधि में कमीशनबाजी का रोना रोते हैं और कई बार सदन में भी विधायक निधि में कमीशन खाने का मामला उठाया गया है लेकिन हकीकत यह भी है कि कई विधायकों ने कमीशन खाने के लिए एक-दो फर्मों को ही सामान उपलब्ध कराने का काम दिया हुआ है और उन्हीं से उनका एकमुश्त कमीशन बंधा हुआ है।
मोटे कमीशन के चलते सामान उपलब्ध कराने वाली फर्म भी एक विद्यालय के सामान को कई विद्यालयों में उपलब्ध दिखाकर मोटा पैसा गबन कर लेती हैं। अकसर इस खेल में विद्यालय, ब्लॉक मुख्यालय, सामान आपूर्ति करने वाली फर्म तथा विधायक की भी मिलीभगत होती है। यह सीधे-सीधे फर्जीवाड़ा, गबन का मामला है। देखना यह है कि जीरो टॉलरेंस की सरकार इस मामले में क्या कार्यवाही करती है !
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